Pakistan International Airlines Auction : पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार को अपनी सरकारी एयरलाइन Pakistan International Airlines को नीलाम करना पड़ा है।
PIA को आरिफ हबीब कंसोर्टियम ने 4,317 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। नीलामी में सबसे बड़ी बोली आरिफ हबीब ग्रुप की रही।

PIA पाकिस्तान की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय एयरलाइन (National Airline) मानी जाती है, जिसे बेचने का फैसला शहबाज सरकार के लिए भी आसान नहीं था।
सरकार की उम्मीद से कहीं ज्यादा मिली कीमत
शहबाज सरकार PIA को करीब 3,200 करोड़ रुपये तक बेचने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन नीलामी में इससे कहीं ज्यादा बोली लगने से सभी हैरान रह गए।
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नीलामी के दौरान आरिफ हबीब कंसोर्टियम और Lucky Cement के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। लकी सीमेंट ने 101.5 अरब पाकिस्तानी रुपये यानी करीब 4,288 करोड़ रुपये तक बोली लगाई, लेकिन आखिर में आरिफ हबीब ग्रुप ने 135 अरब पाकिस्तानी रुपये की बोली लगाकर बाजी मार ली।
कौन है आरिफ हबीब ग्रुप?
Arif Habib Group पाकिस्तान का एक बड़ा और प्रतिष्ठित Business Conglomerate है। इसकी स्थापना 1970 में आरिफ हबीब ने की थी और इसका मुख्यालय कराची में है।
यह ग्रुप फर्टिलाइजर, पावर, सीमेंट और एजुकेशन सेक्टर में मजबूत पकड़ रखता है। आरिफ हबीब ग्रुप को पाकिस्तान के सबसे अमीर बिजनेस ग्रुप्स में गिना जाता है। इसकी कुल संपत्ति करीब 1 अरब डॉलर बताई जाती है, जो पाकिस्तानी रुपये में लगभग 278 अरब रुपये के बराबर है।
PIA की शुरुआत कब हुई थी?
Pakistan International Airlines की शुरुआत 29 अक्टूबर 1946 को हुई थी। पहले इसका नाम Oriental Airways था।
साल 1955 में इसका नाम बदलकर Pakistan International Airlines (PIA) कर दिया गया। यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन है और इसका मुख्यालय भी कराची में स्थित है।
पाकिस्तान की हालत क्यों इतनी खराब?
पाकिस्तान इस समय गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को देश चलाने के लिए सरकारी संपत्तियां बेचनी पड़ रही हैं।
जून 2025 तक पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक कर्ज 286.832 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 13 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 135 अरब डॉलर हो चुका है।
इसमें से 87.4 अरब डॉलर का कर्ज विदेशी सरकारों और International Monetary Fund (IMF) का है, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक हालत और ज्यादा दबाव में आ गई है।
मजबूरी में लिया गया फैसला
विशेषज्ञों का मानना है कि PIA की नीलामी पाकिस्तान की आर्थिक मजबूरी को साफ तौर पर दिखाती है। सरकार के पास राजस्व जुटाने के सीमित विकल्प बचे हैं और ऐसे में राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचकर ही खर्च चलाया जा रहा है।




