CJI BR Gavai protocol lapse: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने रविवार को महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल उल्लंघन पर राज्य के शीर्ष अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सम्मान समारोह में CJI ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ-न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिक-बराबर हैं और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
CJI ने कहा, “जब महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश बनता है और पहली बार राज्य का दौरा करता है, तो मुख्य सचिव, DGP या मुंबई पुलिस आयुक्त की गैरमौजूदगी पर विचार करना चाहिए।
प्रोटोकॉल सम्मान का सवाल है। अगर जज प्रोटोकॉल तोड़ें, तो अनुच्छेद 142 की चर्चा शुरू हो जाती है। इन छोटी बातों पर जनता को जागरूक करना जरूरी है।” अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्तियां देता है, जिसका जिक्र तमिलनाडु विधेयक मामले में न्यायिक अतिक्रमण के आरोपों के बीच अहम है।
चैत्य भूमि पर बदला नजारा
CJI के बयान के बाद चैत्य भूमि दौरे पर मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, DGP रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती मौजूद थे। जब प्रोटोकॉल चूक पर सवाल पूछा गया, तो CJI ने कहा, “मैं प्रोटोकॉल को लेकर उग्र नहीं हूं। मैंने सिर्फ वही कहा जो हुआ।”
CJI की टिप्पणी तमिलनाडु मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आई, जिसमें विधायिका के बिलों पर राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय की गई थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि क्या राज्यपाल अनुच्छेद 200 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य हैं। इसने न्यायिक शक्तियों पर बहस को और हवा दी है।
पिछले महीने देश के दूसरे दलित CJI बने गवई ने मुंबई में सम्मान समारोह में हिस्सा लिया और बाबासाहेब अंबेडकर की चैत्य भूमि का दौरा किया। उनके बयान ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संवैधानिक संतुलन पर जोर दिया।