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IAS अधिकारी के बेटे के तीन जन्म प्रमाण पत्र पर विवाद, भाजपा ने सरकार को घेरा

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Fake Birth Certificate Cases: रांची नगर निगम में एक आईएएस अधिकारी के बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले (Fake Birth Certificate Cases) ने तूल पकड़ लिया है। मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा। इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने प्रदेश सरकार से सवाल करते हुए निशाना साधा है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में इस पूरे मामले पर सरकार से चार महत्वपूर्ण सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्पष्ट किया है कि IAS अधिकारी राजीव रंजन (Rajeev Ranjan) के बेटे के एक जन्म प्रमाण पत्र को वैध माना गया है, जबकि अन्य को निरस्त कर दिया गया है।

इस पर पहला सवाल यह है कि रांची नगर निगम ने तीन में से किस प्रमाण पत्र को वैध ठहराया और किन्हें रद्द किया? साथ ही, यह निर्णय किस आधार पर लिया गया कि कौन सा प्रमाण पत्र असली है और कौन सा फर्जी? दूसरा सवाल यह उठता है कि जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते समय एक शपथ पत्र देना अनिवार्य होता है।

यदि फर्जी शपथ पत्र दिया गया था, तो क्या नगर निगम ने संबंधित IAS अधिकारी के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया है? तीसरा सवाल है कि नगर निगम के उस अधिकारी पर क्या कार्रवाई की गई जिसने तीन अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र जारी किए और उन्हें सत्यापित किया?

अजय साह ने आगे कहा…

उन्होंने कहा कि चौथा और अंतिम सवाल यह है कि जिस ऊंचे पद पर संबंधित IAS अधिकारी वर्तमान में कार्यरत हैं, उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कौन सी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है? क्या ऐसे अधिकारी के भरोसे झारखंड का पूरा वित्त विभाग चलाया जाएगा?

अजय साह (Ajay Sah) ने आगे कहा कि झारखंड में “कानून के राज” का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। आम जनता और बड़े अधिकारियों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए जा रहे हैं।

यदि ऐसा फर्जीवाड़ा किसी सामान्य व्यक्ति ने किया होता, तो नगर निगम उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता लेकिन चूंकि यह मामला एक बड़े अधिकारी से जुड़ा है, इसलिए निगम का रवैया नरम दिखाई दे रहा है। उन्होंने इस पूरे मामले को गंभीरता से जांचने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

साह ने JSSC और CGL परीक्षा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया एक बड़ा धोखा और फर्जीवाड़ा है। उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि यदि किसी भाजपा नेता की इसमें संलिप्तता है, तो ठोस सबूत पेश किए जाएं, न कि मनगढ़ंत आरोप लगाए जाएं। साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि JMM के अनुसार छात्रों के साथ खड़े होना उन्हें गुमराह करना माना जाता है, तो भाजपा इस तरह का “गुमराह” अगले पांच साल तक करती रहेगी।

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