झारखंड

सरकार ने कोयला, बालू, शराब और ट्रांसफर-पोस्टिंग में हजारों करोड़ रुपये की उगाही की: रघुवर दास

रांची: BJP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सरकार (Hemant Government) में राज्य के 12 जिलों में खनिजों का 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का अवैध खनन (Illegal Mining) हुआ है।

घोटालों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति (Local Policy) बनाने और OBC आरक्षण (Reservation) का दायरा बढ़ाने की घोषणा की है। रघुवर दास शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे।

रघुवर ने कहा कि ढाई साल में परिवारवादी गठबंधन की सरकार ने कोयला, बालू, शराब और ट्रांसफर-पोस्टिंग में हजारों करोड़ रुपये की उगाही की है।

इसका उदहारण साहेबगंज जैसा एक पिछड़ा जिला है। इस एक जिले से ही ED की जांच में लगभग 1400-1500 करोड़ रुपये के अवैध उत्खनन (Illegal Mining) की बात सामने आयी है। इस उत्खनन में CM के विधायक प्रतिनिधि का नाम सबसे आगे है।

न्यायालय की अवमानना कर रही हेमंत सरकार

स्थानीयता के निर्धारण को लेकर रघुवर दास (Raghuvar Das) ने कहा कि 15 नवंबर, 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ।

राज्य गठन के बाद उस समय सरकार ने अधिसूचना संख्या (Notification Number) 3389, दिनांक 29 सितंबर, 2001 द्वारा एकीकृत बिहार (Integrated Bihar) के परिपत्र संख्या 806, दिनांक 03 मार्च, 1982 को अंगीकृत किया गया, जिसमें जिले के आधार पर स्थानीय व्यक्ति की पहचान उनके नाम, जमीन, वासगीत, रिकार्ड ऑफ राइट्स के आधार पर की गयी थी।

इसी संदर्भ में झारखंड उच्च न्यायालय ने दो वाद यथा WP (PIL) 4050/02 एवं वाद संख्या WP (PIL) 2019/02 के मामले में 27 नवंबर, 2002 को पारित अपने विस्तृत आदेश के जरिए स्थानीयता (Locality) को परिभाषित किए जाने संबंधी संकल्प को गलत बताया था और स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे।

इस आदेश के आलोक में अनेक सरकारें आईं, कमेटियां बनाई गई, लेकिन स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित करने और उसकी पहचान (Identification) के मापदंड (Criteria) को निर्धारित करने का मामला विचाराधीन था।

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी निर्णय लिया है और इनको भी पता है कि इसे लागू करना न्यायालय की अवमानना होगी।

इसलिए इनके द्वारा इस नीति को लागू नहीं किया जाएगा, ऐसी योजना बनाई गई है। स्वयं मुख्यमंत्री 23 मार्च 2022 को इसकी वैधानिकता के बारे में राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में घोषणा कर चुके हैं।

इनके द्वारा यह कहा गया है कि 1932 वाली स्थानीयता की नीति को संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत लागू किया जाएगा, जो कभी भी संभव नहीं हो पाएगा।

ओबीसी आरक्षण का फैसला असंवैधानिक

रघुवर दास ने कहा कि स्थानीयता का मामला हो या आरक्षण का मामला, यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है। साथ ही इस नीति को नियोजन (Policy Planning) से भी नहीं जोड़ा गया है।

इससे स्पष्ट है कि सरकारी नियुक्तियों (Government Appointments) में भी वर्तमान में झारखंडवासियों को 1932 अथवा स्थानीयता (Locality) का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।

उन्होंने कहा कि आरक्षण में बढ़ोतरी का निर्णय भी असंवैधानिक (Unconstitutional) है। इसे लागू करना असंभव सा प्रतीत होता है। इस तरह यहां के आदिवासी, मूलवासी और पिछड़ों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्हें धोखा (Deceived) दिया गया है।

रघुवर ने कहा कि किसी को भी आरक्षण (Reservation) देने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उस श्रेणी के छात्रों की संख्या और उनके प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना आवश्यक है।

इसी क्रम में BJP सरकार के समय 2019 में राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) को सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे पता चलता है कि यह रिपोर्ट (Report) अभी तैयार नहीं हुई है।

अगर सरकार ने वह रिपोर्ट तैयार नहीं की है, तो आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने में कौन-कौन से कारक को ध्यान में रखा गया है, यह भी सरकार को सार्वजनिक (Public) करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।

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