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गोकशी के नाम पर कासिम की मॉब लिंचिंग करनेवाले सभी 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा

मंगलवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्वे ता दीक्षित के कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी है। इसके साथ ही सभी दोषियों पर 58-58 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

Hapur Mob Lynching case: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में साल 2018 में गोमांस के नाम पर कासिम नामक व्यक्ति की हुई मॉब लिंचिंग मामले में सभी 10 दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी है।

हापुड़ जिले के सेशंस कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। पुलिस ने इस मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। उस समय से मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश के न्यायालय में विचाराधीन था।

मंगलवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश श्वे ता दीक्षित के कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें  उम्रकैद की सजा सुनायी है। इसके साथ ही सभी दोषियों पर 58-58 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

गौरतलब है कि भीड़ के हमले में मदापुर निवासी कासिम (50) की मौत हो गयी थी। जबकि, एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस की विवेचना में हस्तक्षेप करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने के आदेश DIG मेरठ को दिये थे।

विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार चौहान ने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से 23 गवाह और साक्ष्य कोर्ट में पेश किये गये। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश श्वेषता दीक्षित ने मंगलवार को निर्णय सुनाया। उन्होंने आरोपी युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित और करनपाल को मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी।

विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) विजय कुमार चौहान ने बताया कि मामले का एक आरोपी घटना के समय नाबालिग था, जिसके कारण उसकी पत्रावली सुनवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को भेज दी गयी थी।

वादी के अधिवक्ता विरेंद्र ग्रोवर ने बताया कि पिलखुवा थाना पुलिस ने 18 जून 2018 को अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया था। इसमें जिक्र था कि समयद्दीन और कासिम किसी काम से बाइक पर सवार होकर बझेड़ा खुर्द गांव होते हुए धौलाना जा रहे थे। बझेड़ा गांव के पास उनकी बाइक की किसी अन्य बाइक से टक्कर हो गयी। मौके पर पहुंचे लोगों ने दोनों की जमकर पिटाई कर दी। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पर चिकित्सक ने कासिम को मृत घोषित कर दिया और घायल समयद्दीन का उपचार शुरू कर दिया गया।

पुलिस की दर्ज रिपोर्ट का पीड़ित पक्ष ने विरोध किया और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी। उन्होंने कहा था कि गोकशी की अफवाह को लेकर समयुद्दीन और कासिम की भीड़ ने जमकर पिटाई की थी, जिसके कारण कासिम की मौत हो गयी और समयुद्दीन घायल हो गये थे।

सुप्रीम कोर्ट ने DIG मेरठ को मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिये थे। जांच के बाद पुलिस ने 11 आरोपियों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।

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