झारखंड

आजादी के 75 साल बाद भी उपेक्षा का दंश झेल रहे सिमडेगा जिलावासी

सिमडेगा : आज जहां हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा होने पर आजादी का Amrit Mahotsav मना रहा है, वहीं Jharkhand के पिछड़े जिले में शुमार सिमडेगा जिले के लोग बदहाल सड़क, Mobile Network और स्वास्थ्य व्यवस्था का कोपभाजन बनने को विवश हैं।

समस्या की गंभीरता का आभास तब होता है जब इस समस्या से किसी मजबूर व गरीब व्यक्ति को इससे दो-चार होना पड़ता है।

ऐसा ही हुआ बानो प्रखंड में घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरी बड़काडुईल पंचायत की बरटोली निवासी सरस्वती देवी के साथ जब उसे प्रसव पीड़ा होने पर उसके पति गणपति सिंह और घर के लोगों परेशानी काफी बढ़ गई।

झमाझम बारिश (Drizzle Rain) और सड़क का अभाव, ऊपर से Mobile Network का नहीं होना उनके लिए चौतरफा मुसीबत की वजह बन गई।

Hospital की बजाय जंगल में हुई महिला की Delivery, बच्चे की हो गई मौत

जब सरस्वती देवी की तबीयत बिगड़ने लगी तो गणपति सिंह, मुखिया अनिल लुगुन, Ward सदस्य सरिता देवी, सहिया के पति जनकु सिंह, सहिया चंद्रावती देवी आदि ने सरस्वती देवी को बानो CHC ले जाने का फैसला किया। खटिया में Plastic का तिरपाल लगाकर और उसमें उसे लिटाकर वे बानो के CHC के लिए निकले।

घर से 3 KM की दूरी पर जंगल में महिला की हालत बिगड़ने लगी तो सहिया दीदी ने उसकी Delivery कराई। मगर इस घटना में नवजात शिशु की मौत हो गई। जानकारी मिलने पर जिला परिषद सदस्य बिरजो कंडुलना ने Phone कर Ambulances भेजा।

 

एंबुलेंस से महिला को CHC लाया

एंबुलेंस (Ambulances) से महिला को CHC लाया गया और वहां उसका इलाज किया जा रहा है। सरस्वती देवी ने अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिए अपनी आंखों में न जाने कितने सपने सजाए होंगे, मगर वह बच्चा ही न रहा तो ऐसे में सोचा जा सकता है कि उसपर व उसके परिवार पर क्या बीत रही होगी?

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