Increasing Irregularities in Jharkhand Agriculture Department : झारखंड के कृषि विभाग में अफसरशाही, अनियमितताओं और ब्लैकलिस्टेड कंपनियों की बढ़ती भूमिका को लेकर नए विवाद सामने आए हैं।
CPI के राज्य कार्यालय सचिव अजय सिंह ने कहा कि किसानों के हितों की जगह अब विभाग में अधिकारियों और संदिग्ध कंपनियों का असर बढ़ता जा रहा है। इससे किसान योजनाओं का सही फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
CIPET की जांच में खुली बड़ी खामियां
अजय सिंह ने बताया कि PDMC योजना के तहत हुए कामों की गुणवत्ता (Quality) को लेकर संदेह बढ़ने पर कृषि निदेशक ने 19 जनवरी 2024 को 18 कंपनियों की सामग्री की रैंडम जांच CIPET से कराने का आदेश दिया था।
CIPET ने 27 फरवरी 2025 को रिपोर्ट सौंपते हुए चार कंपनियों—
1. R M Drip & Sprinkle System Ltd
2. Bharat Drip Irrigation & Agro
3. Unnati Agriculture Pvt. Ltd
4. Dev Polymers
के उपकरणों को अमानक और Non-Standard बताया। निदेशक ने कहा था कि इन कंपनियों की सप्लाई की अन्य जिलों में भी जांच हो और तब तक इन्हें कोई नया काम न दिया जाए।
आरोप: जांच अधूरी, कंपनियों को उल्टा ज्यादा काम
CPI नेता का कहना है कि अफसरशाही के कारण न तो जांच पूरी हो रही है, न ही किसी पर कार्रवाई। उल्टा, जिन कंपनियों को रोकना था, उन्हें और ज्यादा काम दे दिया गया है। उन्होंने इसे “कृषि विभाग में लूट की खुली छूट” बताया।
हजारीबाग में फर्जी लाभुकों का मामला भी सामने
अजय सिंह ने बताया कि हजारीबाग के इचाक प्रखंड में हुई जांच में 12 में से 11 लाभुक फर्जी निकले। जिनका नाम ग्राम भुसाई में दिखाया गया था, वे असल में टेपसा गांव के थे।
मुख्यमंत्री से कड़ी कार्रवाई की मांग
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) से PDMC योजना पर श्वेत पत्र जारी करने, CIPET की रिपोर्ट सार्वजनिक करने और भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि अफसर और कंपनियां मिलकर सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। जनहित में कठोर कदम ही इसका समाधान है।




