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देश में अब तक JNU का कोई भी छात्र नेता लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका, अब…

पूरी दुनिया में जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) दिवस कई दृष्टियों से होती है। देश की राजनीति पर सबसे बड़ा हस्तक्षेप जिन चंद विश्वविद्यालयों का है,उनमें JNU अव्वल है, लेकिन JNU के छात्र नेता जैसे ही कैंपस से संसद की ओर निकलते हैं, उनकी आवाज, विचार और मौजूदगी गौण हो जाते हैं।

JNU Student Leaders in the Elections: पूरी दुनिया में जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) दिवस कई दृष्टियों से होती है। देश की राजनीति पर सबसे बड़ा हस्तक्षेप जिन चंद विश्वविद्यालयों का है,उनमें JNU अव्वल है, लेकिन JNU के छात्र नेता जैसे ही कैंपस से संसद की ओर निकलते हैं, उनकी आवाज, विचार और मौजूदगी गौण हो जाते हैं।

इतिहास उठाकर देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि पिछले 50 सालों में JNU ने कई नामचीन राजनेता दिए, लेकिन इनमें से एक भी लोकसभा के द्वार तक नहीं पहुंच सका।

JNU के तीन छात्र नेताओं को ‘INDIA’ गठबंधन ने चुनाव मैदान में उतारा

पहली बार JNU के 3 छात्रनेता एक साथ लोकसभा के चुनावी रण में हैं। इसमें नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से कन्हैया कुमार, नालंदा से संदीप सौरभ और सेरामपुर से दीप्सिता धर का नाम शामिल हैं। दिलचस्प बात है कि तीनों ही छात्रनेता इंडिया गठबंधन के कोटे से उम्मीदवार हैं।

JNU के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार कांग्रेस के सिंबल पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट (Delhi Lok Sabha seat) से चुनाव लड़ रहे हैं। कन्हैया 2019 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें बिहार की बेगूसराय सीट पर हार मिली थी।

वहीं जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के पूर्व महासचिव संदीप सौरभ नालंदा सीट पर इंडिया गठबंधन के माले पार्टी से उम्मीदवार है। नालंदा बिहार में JDU का गढ़ माना जाता है।

वर्तमान में JDU के कौशलेंद्र कुमार सांसद हैं और पार्टी ने इस बार भी उन्हें ही मौका दिया है। बात दें कि संदीप पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

इसके पहले संदीप 2020 के विधानसभा चुनाव में पालीगंज सीट से मैदान में उतरे थे, जहां उन्हें जीत मिली थी। JNU से पीएचडी करने वाले संदीप 2013 में छात्रसंघ के महासचिव बने थे।

JNU SFI की अध्यक्ष रहीं दीप्सिता धर बंगाल की सेरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। यह सीट तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर कद्दावर नेता कल्याण बनर्जी सांसद हैं। दीप्सिता 2021 में विधानसभा का भी चुनाव लड़ चुकी हैं।

CPM ने उन्हें बाली सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे यहां पर तीसरे नंबर पर रही थीं। दीप्सिता के लिए सेरमपुर का चुनाव 2 मायनों में काफी मुश्किलों भरा है। पहला, सेरमपुर में पिछले चुनाव में CPM के उम्मीदवार तीर्थंक रॉय की जमानत जब्त हो गई थी।

दूसरी बड़ी चुनौती सेरमपुर का स्थानीय समीकरण है। सेरमपुर लोकसभा में विधानसभा की 7 सीटें हैं, लेकिन एक पर भी CPM का कब्जा नहीं है। हालांकि, दीप्सिता की फायरब्रांड और जुझारू नेता की छवि से CPM को जीत का विश्वास है।

लेकिन संसदीय इतिहास में JNU का कोई भी छात्रनेता अब तक लोकसभा नहीं पहुंच सका है। हालांकि, कई छात्रनेता राज्यसभा और विधानसभा के जरिए अपने राजनीतिक करियर को जरूर आगे बढ़ाया। मसलन, JNSU के पहले अध्यक्ष डीपी त्रिपाठी और तीसरे अध्यक्ष सीताराम येचुरी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं।

1999-2000 तक JNUSU के अध्यक्ष रहे नासिर हुस्सैन वर्तमान में Karnataka से राज्यसभा के सांसद हैं। राज्यसभा सदस्य के रूप में JNU के कई छात्र बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।

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