भारत

कर्नाटक और पंजाब को मिली 2 नए केंद्रीय विद्यालयों की सौगात

नई दिल्ली:  मौजूदा शैक्षणिक सत्र में कोरोना और लॉकडाउन की चुनौती के बावजूद केंद्रीय विद्यालयों की श्रृंखला में दो और नाम जुड़ने जा रहे हैं।

कर्नाटक और पंजाब में दो नए केंद्रीय विद्यालय खुलने के साथ ही देश भर में केंद्रीय विद्यालयों की संख्या बढ़कर 1247 हो जाएगी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरूवार को ट्वीट कर कहा, मुझे यह साझा करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि केंद्रीय विद्यालयों की विशाल श्रृंखला में दो नए नाम जुड़ने जा रहे हैं।

केंद्रीय विद्यालय संगठन, कर्नाटक और पंजाब में दो नए विद्यालयों का शुभारंभ कर रहा है।

इन विद्यालयों के नाम केंद्रीय विद्यालय सदलगा, बेलगावी, कर्नाटक और केंद्रीय विद्यालय आईआईटी रोपड़, पंजाब है।

 दोनों केन्द्रीय विद्यालयों को मेरी अपार शुभकामनाएं।

इन दोनों विद्यालयों के साथ देश में कुल केन्द्रीय विद्यालयों की संख्या बढ़कर 1247 हो जाएगी।

इससे पहले नवम्बर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ओडिशा के गंजम जिले में ‘केंद्रीय विद्यालय छत्रपुर’ खोलने के आदेश जारी किये गये थे। केंद्रीय विद्यालयों की विशाल श्रृंखला में यह देश का 1245वां केंद्रीय विद्यालय था।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के प्रवक्ता सचिन अरोड़ा ने बताया कि 31 मार्च 2020 तक कुल 1235 केंद्रीय विद्यालय थे।

 एक अप्रैल से शुरू हुए नए अकादमिक वर्ष में अब तक कुल 10 केंद्रीय विद्यालय खोले जा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि अब कर्नाटक और पंजाब में दो नए केंद्रीय विद्यालय खुलने के बाद यह संख्या 12 तक पहुंच जाएगी। इससे केंद्रीय विद्यालयों का आंकड़ा बढ़कर 1247 पर पहुंच जाएगा है।

इसमें से तीन केंद्रीय विद्यालय काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में स्थित हैं।

नया केंद्रीय विद्यालय खोलने की प्रक्रिया

उन्होंने बताया कि केंद्रीय विद्यालय खुलवाने के लिए इच्छुक राज्य सरकार अथवा अन्य एजेंसी को विद्यालय के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन को निशुल्क भूमि का आवंटन करना होता है।

इसके बाद उस स्थान की सड़क से दूरी बिजली के तारों और पानी आदि की व्यवस्था का जायजा लिया जाता है।

इसके साथ ही उन्हें पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यालय को चलाने के लिए अस्थायी भवन भी उपलब्ध कराना होता है।

प्रवक्ता ने बताया कि अस्थायी भवन की व्यवस्था होने पर नया विद्यालय खोलने का आदेश जारी कर दिया जाता है।

 इसके साथ ही स्थाई भवन में पहली से पांचवी कक्षा तक के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

वहीं दूसरी ओर आवंटित भूमि पर निर्माण प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।

उसके तैयार होने तक विद्यालय उसी अस्थाई इमारत में चलता रहता है। औसतन ढाई से 4 साल में केंद्रीय विद्यालय की इमारत बनकर तैयार हो जाती है।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker