Minor Minerals are Being Looted in Jharkhand: झारखंड में लघु खनिजों के प्रबंधन को लेकर फिर एक बड़ा खुलासा हुआ है। प्रधान महालेखाकार इन्दु अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक बालू घाटों (Sand Ghats) के संचालन, पत्थर खदानों के पट्टों की मंजूरी और नीलामी की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां हुई हैं, जिनकी वजह से राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
पट्टों के आवंटन में गड़बड़ी
CAG की रिपोर्ट में यह सामने आया कि कई खनन पट्टे गलत तरीके से जारी कर दिए गए। साहिबगंज जिले में उपायुक्त ने अपने अधिकार से बाहर जाकर 4.74 हेक्टेयर भूमि पर पट्टा दे दिया, जिसे ई-नीलामी के जरिए दिया जाना चाहिए था।
चतरा और पलामू में तो वन भूमि को गैर-मजरुआ परती दिखाकर आठ पट्टे जारी कर दिए गए। यह स्पष्ट रूप से वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है।
बालू घाटों के संचालन में बड़ी देरी
रिपोर्ट में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) के जरिए बालू घाटों के संचालन में भी लापरवाही का आरोप लगा है। राज्य सरकार ने 608 बालू घाट निगम को सौंपे थे, लेकिन उनमें से केवल 21 घाट ही चल पाए।
Mining Plan और पर्यावरण स्वीकृति में देरी होने की वजह से 9,782 एकड़ जमीन वाले 368 घाट कई सालों तक बंद पड़े रहे। इससे सरकार को करीब 70.92 करोड़ रुपये का संभावित राजस्व नहीं मिला।
अवैध खनन पर कार्रवाई नहीं
CAG की रिपोर्ट बताती है कि चार जिलों के 26 पट्टाधारियों ने तय सीमा से 33.21 लाख घनमीटर अधिक खनन कर लिया। इस पर लगभग 205 करोड़ रुपये का जुर्माना बनता था, लेकिन जिला खनन कार्यालयों ने न तो जुर्माना लगाया और न ही वसूली की।
इसी तरह 30 मामलों में 27.53 करोड़ की वसूली नहीं हुई और 15 मामलों में 2.23 करोड़ रुपये की रिकवरी लंबित रही।
पर्यावरणीय मंजूरी के नाम पर धोखा
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कुछ आवेदकों ने गलत दस्तावेज देकर बड़ी जमीन को छोटी श्रेणी में दिखाया, ताकि उन्हें कम स्तर की पर्यावरणीय मंजूरी मिल सके।
इन गलत मंजूरियों के आधार पर 2022–23 और 2023–24 के बीच 6.35 लाख घनमीटर पत्थर का अवैध उत्खनन हुआ, जिसकी कीमत लगभग 19.88 करोड़ रुपये है।
सुरक्षा अवरोध, वृक्षारोपण और वायु-ध्वनि निगरानी जैसे जरूरी पर्यावरण उपायों को भी अधिकतर खदानों में नजरअंदाज किया गया।
नीलामी प्रक्रिया बेहद धीमी
CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नीलामी प्रक्रिया बहुत धीमी रही। जिन ब्लॉकों की नीलामी होनी थी, उनमें से केवल 3.77% ब्लॉकों की ही नीलामी हो सकी।
राजस्व भी लगातार गिरा—2017-18 में जहां 1,082 करोड़ की आमदनी हुई थी, वहीं 2021-22 में यह घटकर 697 करोड़ रह गई।




