रिलेशनशिप

अब भारत जैसे देश में भी बढ़ने लगे हैं होमोसेक्सुअल रिश्ते, कारण…

पश्चिमी देशों की संस्कृति और सोच में कुछ ऐसा खुलापन है, जो भारत जैसे देश में सर्वमान्य नहीं हो सकता। लेकिन, अब जमाना बदल रहा है।

Homosexual Case in India : पश्चिमी देशों की संस्कृति और सोच में कुछ ऐसा खुलापन है, जो भारत जैसे देश में सर्वमान्य नहीं हो सकता। लेकिन, अब जमाना बदल रहा है।

इसलिए बहुत कुछ भारत में वैसा हो रहा है, जिसकी कल्पना हम आसानी से नहीं कर सकते। 21वीं सदी में रिश्ते का दायरा ‘स्त्री-पुरुष संबंध से कहीं आगे निकल रहा है।

अब भारत जैसे देश में भी बढ़ने लगे हैं होमोसेक्सुअल रिश्ते, कारण… national news A new study found that bisexual relationships have increased 3 times since 1990 Number of homosexuals in too is 5 crores

और तेजी से Homosexual रिश्ते बढ़ रहे हैं। वैसे Society में इस तरह के रिश्ते पहले भी मौजूद रहे हैं, लेकिन अब इन रिश्तों पर खुलकर बात होने लगी हैं। इसका खुलासा अमेरिका की नई रिपोर्ट में किया गया है।

1990 के बाद तीन गुना बड़े होमोसेक्सुअल रिश्ते

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एक नई स्टडी में पाया गया कि 1990 के बाद से Bisexual रिश्ते 3 गुना बढ़ गए हैं। अमेरिका के बाद अगर भारत की बात करें तब यहां की भी स्थिति अलग नहीं है। कई रिपोर्ट में भारत में भी समलैंगिकों (Lesbians) की संख्या 5 करोड़ से लेकर 20 करोड़ तक बताई गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में अमेरिका में पहले Bisexual लोगों की संख्या 3.1 प्रतिशत थी, जबकि यह आंकड़ा वर्तमान में 9.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

समलैंगिकता की मानसिक स्थिति

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सोशलिस्ट योगिता भयाना ने कहा कि 9 प्रतिशत का आंकड़ा कोई शॉकिंग नहीं है। ऐसा होना था, क्योंकि अवेयरनेस के जरिए लोग जो हैं वह अपनी बात बता रहे हैं। वे लोग आगे आ रहे हैं और इसतरह के रिश्ते पहले से चलते आ रहे हैं। यह जनसंख्या के अनुसार बढ़ रहे हैं।

जानकारों के अनुसार समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं है। अवेयरनेस के चलते ऐसा हो रहा है। इसके 2 कारण हैं, पहला Hormones असंतुलन और दूसरा मानसिक कारण है।

Hormoneअसंतुलन की स्थिति में शख्स अपने जेंडर से विपरीत व्यवहार करता दिखता है, इस स्थिति को ठीक करने की कोशिश में ‘हॉर्मोन थेरेपी’ का सहारा लिया जाता है। जबकि समलैंगिकता की दूसरी स्थिति मानसिक होती है।

Psychologist Doctor संदीप वोहरा ने बताया कि होमोसेक्सुअलिटी की अगर बात है, तब हम लोग इस कोई बीमारी नहीं मानते हैं। यह बनावट के माध्यम से होता है, जो शुरू से इस तरीके से कोई अट्रैक्शन रहता है, तब उसी तरीके से माना जाता है। इसका कोई ट्रीटमेंट हम नहीं करते। वास्तव में यह ट्रीटमेंट का विषय नहीं है।

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