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सुनीता केजरीवाल चुनाव प्रचार में क्या उतरीं, सोशल मीडिया में होने लगी बहस…

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) के चुनाव प्रचार में उतरने पर सोशल मीडिया में तीखी बहस छिड़ गई है।

Sunita Kejriwal in Politics: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) के चुनाव प्रचार में उतरने पर सोशल मीडिया में तीखी बहस छिड़ गई है।

सोशल मीडिया के सहारे ही India Against Corruption के नाम से आंदोलन चलाकर जन्मी आम आदमी पार्टी (AAP) का दस साल में बुरा हाल देखकर लोग तीखे कमेंट कर रहे हैं।

सुनीता केजरीवाल के चुनाव प्रचार में उतरने पर अधिकांश लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था, पार्टी राजनीति में आने के बाद उसी रास्ते पर चल पड़ी है। पार्टी का नाम तो आम आदमी रख लिया पर जब केजरीवाल संकट में आए तो पत्नी को ही आगे किया।

सुनीता केजरीवाल के प्रचार पर कमेंट करते हुए निशांत ने लिखा- @iNishant4 – आम आदमी से अपनी पार्टी की शुरुआत करने वाले में पार्टी को घर की पार्टी बना दिया और पत्नी को आगे कर दिया। आप में नेताओं की कमी नहीं है पर केजरीवाल जी को तो लालू यादव जी बनना था, बन गए।

नीरज कुमार दुबे ने लिखा @neerajdubey परिवारवाद और भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा करने वाले लोग कुर्सी मिलते ही खुद भी भ्रष्टाचारी और परिवारवादी हो गए।

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा- जब देश के तानाशाह ने देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री Kejrival जी को जेल में डाल दिया है तो उनकी पत्नी पूरी बहादुरी से मोदी सरकार के जुर्म का जवाब देने के लिए मैदान में हैं।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनू यादव ने लिखा- आम आदमी पार्टी मे भी परिवारवाद की राजनीति की शुरूआत हो चुकी है।

देवेश ने ट्वीट किया @tweet2devesh आप के क्रान्तिकारी भाइयो को मुबारकबाद, आपको राबड़ी देवी मिल गयी।

इसी तरह की टिप्पणी अनेक लोगों ने की है और सुनीता केजरीवाल की तुलना Lalu Prasad Yadav की पत्नी राबड़ी देवी से की है। लालू प्रसाद यादव ने भी जेल जाने के बाद अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाया था।

लोगों ने टिप्पणी की है कि मुख्यमंत्री Kejrival भी इसीलिए अपना पद नहीं छोड़ रहे हैं कि जरूरत पड़ने पर देर-सबेर वे अपनी पत्नी को ही मुख्यमंत्री पद सौंपेंगे। उन्हें पार्टी में और किसी पर विश्वास ही नहीं है।

अखिलेश मिश्रा @akhil223399 ने लिखा- आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार और परिवारवादी राजनीति के विरोध करने के आधार पर ही हुआ था। अब लगता है कि जनता को बेवकूफ बनाने के लिए इस तरह की बातें की गई थीं। इनका मूल उद्देश्य सत्ता हथियाना और अय्याशी करना है।

सोशल मीडिया पर जारी बहस पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रामवीर ने कहा कि लोग Sunita Kejriwal के चुनाव प्रचार करने को परिवारवाद से जोड़कर देख रहे हैं। इससे लोगों को निराशा हुई है।

जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इससे आम आदमी पार्टी (APP) लोगों की भावनाओं का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री पति के जेल जाने पर पत्नी के सामने आने से लाभ होगा, यह आम आदमी पार्टी की सोच है।

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