HomeUncategorizedममता के आरोंपों का खंडन कर केंद्र ने बताया क्यों लिए एक्शन

ममता के आरोंपों का खंडन कर केंद्र ने बताया क्यों लिए एक्शन

Published on

spot_img
spot_img
spot_img

कोलकाता: यास चक्रवात भले ही थम गया हो, मगर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी के साथ आधे घंटे की देरी से पहुंचने की वजह से अलापन बंधोपाध्याय को लेकर सियासी तूफान जारी है।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को तलब करने के अपने कदम का बचाव किया और उनके ट्रांसफर के आदेश को ‘संवैधानिक’ बताया। मुख्य सचिव एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी होते हैं।

उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की उपेक्षा की, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं पेश हुए और न ही पश्चिम बंगाल सरकार का कोई भी अधिकारी प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में शामिल हुआ।

दरअसल, पूर्व मुख्य सचिव अलापन को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए तलब किया गया था क्योंकि वह पिछले सप्ताह चक्रवात यास के बाद समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्तुति देने में विफल रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक वह बिना उचित कारण बताए मुख्यमंत्री के साथ बैठक से निकल गए।

यास तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल न होने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली तलब किया गया था और उन्हें सोमवार सुबह 10 बजे नार्थ ब्लॉक में डिपार्टमेंट ऑफ पर्नसल एंड ट्रेनिंग को रिपोर्ट करना था, मगर वे नहीं आए।

उसके अगले दिन ही उन्होंने अपने पद से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।

अलापन बंद्योपाध्याय सोमवार को बंगाल के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो गए और अब वह बंगाल सरकार के मुख्य सलाहकार हैं।

केंद्र ने तब ममता बनर्जी पर अलापन बंदोपाध्याय को अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचाने का आरोप लगाया था। सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से पता चलता है कि ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं।

वह जानती हैं कि मामले के तथ्य मुख्य सचिव के खिलाफ हैं और उनका व्यवहार ऐसा था कि यह सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा क्योंकि वह एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी हैं और यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि समीक्षा बैठक निर्धारित समय के अनुसार हो।

अखिल भारतीय अधिकारियों से राजनीति का हिस्सा होने की उम्मीद नहीं की जाती है।

ममता बनर्जी यह सब जानती हैं और उनकी सेवानिवृत्ति उन्हें बचाने के लिए अंतिम बोली है।

सूत्रों ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री से तीन महीने के लिए मुख्य सचिव के विस्तार की पुष्टि करने का अनुरोध करने से लेकर अब उन्हें सेवानिवृत्त करने तक ममता बनर्जी ने कुछ ही घंटों में एक बड़ा यू-टर्न ले लिया है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने पूर्व मुख्य सचिव के बारे में केंद्र के कदम को एकतरफा आदेश कहा था और तर्क दिया कि यह आदेश कानूनी रूप से “अस्थिर, अभूतपूर्व, असंवैधानिक” है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के साथ बिना परामर्श के यह फैसला लिया गया। सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हो गई थीं।

हालांकि, यह जानने के बाद कि विपक्ष के नेता (एलओपी) बैठक का हिस्सा बनने जा रहे थे, उन्होंने अपना विचार बदल दिया, जिसका उन्होंने अपने पत्र में भी उल्लेख किया है।

इसलिए यह स्पष्ट है कि उनका पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम कोई मुद्दा नहीं था।

इसकी पुष्टि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी की थी, जिन्होंने ट्वीट किया था कि ममता ने उनसे कहा था कि अगर विपक्ष के नेता बैठक में शामिल होते हैं तो वह बैठक का बहिष्कार करेंगी।

spot_img

Latest articles

रांची को अतिक्रमण-मुक्त और स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम की दो अहम बैठकों में बड़े निर्देश

Important meetings of the Municipal Corporation: रांची नगर निगम में शुक्रवार को शहर की...

इंडिगो संकट पर DGCA सख्त: CEO पीटर एल्बर्स दोबारा पूछताछ में हुए शामिल

DGCA Cracks down on IndiGo crisis : देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस कंपनियों...

खबरें और भी हैं...