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भारत के इंडस्ट्री हब का बैक बोन बन रहा उत्तरप्रदेश : सिद्धार्थनाथ सिंह

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, निवेश और एनआरआई मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गुरुवार को वर्चुअल प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें उन्होंने बीते 4 सालों के कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि, इन कार्यों के कारण उत्तरप्रदेश की पहचान तेजी से बदली है।

साथ ही उद्योगों के प्रति सरकार के लचीले रवैये से यूपी भारत के इंडस्ट्री हब का बैक बोन बन रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) के कारण यूपी के निर्यात में 35 फीसदी की बढोतरी हुई है।

इसके अलावा एमएसएमई को प्रदेश के इतिहास में पहली बार चार सालों में ढाई लाख करोड़ रुपए के लोन दिए गए हैं, जिससे प्रदेश में करीब चार लाख करोड़ का निवेश आया है और दो करोड़ 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिले हैं।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया की, यूपी का एमएसएमई रोजगार की गारंटी देने वाला और उद्योगीकरण की रीढ़ की हड्डी बना है।

2017 में जब भाजपा सरकार यूपी में आई थी, तब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए एक रोडमैप बनाया गया। इसी के तहत 2018 में ओडीओपी की शुरूआत की गई।

प्रदेश के सभी 75 जिलों में से 40 में कॉमन फैसेलिटी सेंटर (सीएफसी) की शुरूआत कर दी गई है। परंपरागत उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में डिस्ट्रिक्ट प्लान बनाया गया है।

साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट और ईबे जैसे आनलाइन प्लेटफॉर्म से एमओयू किया गया है।

दरअसल उत्तरप्रदेश में कोरोना की पहली लहर में प्रदेश में आवश्यक वस्तुओं से संबंधित उद्योग और निर्यात वाली इकाइयां संचालित थीं। जबकि दूसरी लहर में आंशिक कोरोना कर्फ्यू लगाया गया था, जिसमें उद्योग धंधे आम दिनों की तरह संचालित थे।

उन्होंने कहा कि, कोरोना काल में ही नया एमएसएमई एक्ट 2020 लागू किया गया है। जिसके तहत 72 घंटे में एनओसी दी जा रही है और 1000 दिन तक विभिन्न प्रकार के लाइसेंस से छूट दी गई है।

कोरोना के दौरान ही 415 इकाइयों को एनओसी दी गई है और वह उद्योग भी संचालित कर रहे हैं।

इसके अलावा उत्तरप्रदेश में क्लस्टर डेवलपमेंट पर सीएफसी को जोड़ कर कार्य किया जा रहा है।

इसमें देश के नामचीन फैशन डिजाइनर को क्लस्टर के साथ जोड़ा गया है। साथ ही क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया को भी जोड़ा गया है।

उन्होंने बताया कि, अब गांवों में भी औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है और पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रयागराज में शुरू किया जा रहा है। इसमें ट्रेनिंग सेंटर के साथ श्रमिकों के रहने की भी व्यवस्था की जा रही है।

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