HomeUncategorizedशरद पवार की बैठक अनधिकृत, असली राकांपा हमारे साथ: प्रफुल्ल पटेल

शरद पवार की बैठक अनधिकृत, असली राकांपा हमारे साथ: प्रफुल्ल पटेल

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मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली (Delhi) में बुलाई गई शरद पवार की पार्टी की बैठक अनधिकृत थी।

असली NCP उनके साथ है। उन्होंने चुनाव आयोग (Election Commission) और विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of the Assembly) को इस संबंध में सूचित कर दिया है।

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार (Sharad Pawar) को किसी को भी निलंबित करने का अधिकार ही नहीं है।

sharad pawar: 51 NCP MLAs wanted Sharad Pawar to explore possibility of  joining Maha govt in 2022: Praful Patel - The Economic Times

NCP कार्यकारिणी की बैठक आयोजित

प्रफुल्ल पटेल ने मुंबई में पत्रकारों को बताया कि 30 जून को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) के आवास पर NCP कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई थी।

इस बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने मेरा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर चुनाव किया।

इसके बाद सभी विधायकों ने अजीत पवार को विधायक दल का नेता चुना।

Maharashtra news LIVE: Maharashtra Speaker says 'no split in NCP', 'have to  decide who represents it' | Mint #AskBetterQuestions

इसी तरह विधानसभा में अनिल पाटिल को और विधान परिषद में अमोल मिटकरी को चीफ व्हिप (Whip) नियुक्त किया गया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मैंने इसकी जानकारी चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष को दे दिया था।

इसके बाद हमने चुनाव आयोग को जनप्रतिनिधियों और पार्टी पदाधिकारियों के प्रतिज्ञापत्र भी सौंपे हैं।

इसके बाद जयंत पाटिल पार्टी के महाराष्ट्र (Maharashtra) प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं रहे लेकिन जयंत पाटिल ने 9 विधायकों को अपात्र करने की याचिका दाखिल की है।

NCP symbol not going anywhere': Sharad Pawar after Ajit Pawar moves poll  panel | Latest News India - Hindustan Times

चुनाव आयोग नियमों के आधार पर निर्णय

इसका कोई अर्थ ही नहीं है। जब मामला चुनाव आयोग के पास है तो जब तक इसका निर्णय नहीं आ जाता, तब तक किसी को फिर से कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि कोई भी पार्टी नियमों के अनुसार चलती है। NCP में पिछले कई वर्षों से संगठनात्मक चुनाव नहीं हुआ है।

साथ ही पदों पर मनोनीत किया जाता रहा है। किसी भी राजनीतिक पार्टी में पदाधिकारियों का चुनाव होना चाहिए, मनोनीत नहीं किया जाना चाहिए।

अब मामला चुनाव आयोग के पास है। चुनाव आयोग नियमों के आधार पर निर्णय करने वाला है।

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