ये तो गजब है! खुद के बारे में भी जानने के लिए गूगल का सहारा, अब आगे…

यह किसी वस्‍तु, घटना या व्‍यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि खुद के बारे में जानने के लिए लोग Google का सहारा ले रहे हैं

News Aroma Media
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने जेंडर को लेकर सर्च में 13 सौ गुना इजाफा
  • इस तरह की मनोवृति में इजाफा पिछले 20 साल में आई
  • हैरत में डालने वाले अनेक प्रकार के सवाल डाले जाते हैं सर्च में
  • सर्च में लोग पूछते हैं कि क्‍या मैं गे हूं, क्‍या मैं लेस्बियन हूं, क्‍या मैं ट्रांसजेंडर हूं
  • रिसर्च से पता चल रहा है कि समाज के ताने-बाने में आ रही बड़ी विकृति

नई दिल्‍ली : लोगों के मन में कोई भी सवाल आता है तो सबसे पहले उसका जवाब Internet और Google पर खोजते हैं।

अमूमन किसी सब्‍जेक्‍ट (Subject) या घटना से जुड़ी जानकारी तो Internet से लेना सामान्‍य बात है, लेकिन बीते कुछ साल से लोग इस पर बड़ी अजीब सी जानकारी खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

यह किसी वस्‍तु, घटना या व्‍यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि खुद के बारे में जानने के लिए लोग Google का सहारा ले रहे हैं।

Google के साल 2004 से लेकर 2023 तक के आंकड़ों में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

ये तो गजब है! खुद के बारे में भी जानने के लिए गूगल का सहारा, अब आगे… This is amazing! Google's support to know about yourself too, now further…

20 साल पहले जहां 1 आदमी खुद के जेंडर पर सवाल करता था वहीं अब 1300

दरअसल, मार्केट रिसर्च कंपनी (Market Research Company) कल्‍चरल करेंट इंस्‍टीट्यूट (Cultural Current Institute) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2004 के बाद से Google पर अपने जेंडर को लेकर सर्च 1300 फीसदी बढ़ गई है।

इसका मतलब है कि 20 साल पहले जहां 1 आदमी Google पर खुद के जेंडर (Gender) को लेकर सवाल करता था, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 1300 बढ़ गई है।

इस सर्च में लोग पूछते हैं कि क्‍या मैं गे हूं, क्‍या मैं लेस्बियन हूं, क्‍या मैं ट्रांसजेंडर (Transgender) हूं, इससे कैसे बाहर आऊं और क्‍या मैं नॉन-बाइनरी हूं।

नॉन-बाइनरी का मतलब होता है कि जब एक ही व्‍यक्ति के अंदर स्‍त्री और पुरुष दोनों की पर्सनॉलिटी (Personality) रहने लगे।

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सही नहीं मानते Top 3 Category वाले सवालों को

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के उटाह राज्‍य में पारंपरिक और सामाजिक मूल्‍यों वाली सोच में तेजी से गिरावट आ रही है.

यहां पर ऊपर दी गई 5 कैटेगरी में से शुरुआती 3 को लेकर लोगों के मन में ज्‍यादा सवाल आ रहे हैं।

हालांकि, यहां ज्‍यादातर लोग अब भी अपने सामाजिक मूल्‍यों की वजह से Top 3 Category वाले सवालों को सही नहीं मानते हैं।

इसके अलावा दूसरी राज्‍य ओकाहामा में लोगों के मन में एक ही सवाल सबसे ज्‍यादा आता है कि इससे कैसे बाहर आऊं।

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अमेरिका का सामाजिक ताना-बाना हो रहा खराब

इस रिपोर्ट से यह चिंता भी लोगों के सामने आ रही है कि अमेरिकी (American) राज्‍य अभी एक तरह की चुनौती से जूझ रहे हैं, जिसमें लोग अपनी खुद की पहचान को खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

यह स्थिति लोगों को एक गंभीर समस्‍या की ओर ले जा रही है।

रिसर्च पेपर जारी करने वाली संस्‍था कल्‍चरल करेंट इंस्‍टीट्यूट (Cultural Current Institute) ने ये आंकड़े अमेरिका के सभी 50 राज्‍यों से जुटाए हैं।

ये आंकड़े बीते दो दशक के दौरान जुटाए गए हैं। इसमें दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका का सामाजिक ताना-बाना खराब हो रहा है।

इससे आने वाली पीढ़ी भी खुद को लेकर असमंजस में रहेगी, जिसका खामियाजा रिश्‍तों को भी भुगतना पड़ सकता है।

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