अजब गज़ब

जोखिम भरा धार्मिक प्रथा है महिलाओं का खतना, पाबंदी हटा रहा यह देश…

दुनिया में चाहे किसी कोने में ऐसी क्रूर प्रथम हो इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। महिलाओं की खतना प्रक्रिया अत्यंत कष्टदायक है।

Female Circumcision: दुनिया में चाहे किसी कोने में ऐसी क्रूर प्रथम हो इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। महिलाओं की खतना प्रक्रिया अत्यंत कष्टदायक है।

UNICEF ने टारगेट रखा है कि वो महिलाओं के खतना (Circumcision) की प्रथा को साल 2030 तक पूरी तरह से खत्म करवा देगी।

हालांकि इसी साल महिला दिवस (Women’s Day) के मौके पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए उसने बताया कि दुनिया में FGM सर्वाइवर्स की संख्या 230 मिलियन से भी ऊपर है। खतरों को देखते हुए कई देशों ने इसपर कानूनी पाबंदी भी लगाई, लेकिन गाम्बिया ऐसा देश है, जो बैन हटाने की सोच रहा है।

FGM क्या है?

जोखिम भरा धार्मिक प्रथा है महिलाओं का खतना, पाबंदी हटा रहा यह देश… UNICEF has set a target to completely eliminate the practice of female circumcision by the year 2030.

फीमेल जेनिटल कटिंग या Mutilation में महिलाओं के बाहरी जननांग का एक हिस्सा ब्लेड या किसी धारदार चीज से काट दिया जाता है।

धार्मिक मान्यताएं ऐसी हैं कि इस दौरान उन्हें बेहोश भी नहीं किया जाता है। ये सब पूरी तरह से नॉन-Medical Ground पर होता है, यानी ऐसा नहीं कि ये करना उसके शरीर की जरूरत हो।

कितनी तरह का होता है

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– एक प्रोसेस में यौनांग के ऊपरी हिस्से क्लिटोरिस को पूरी तरह से अलग कर दिया जाता है।

– क्लिटोरिस को आंशिक तौर पर हटाते हुए साथ में वल्वा के भीतर हिस्से को भी हटाया जाता है।

– एक टाइप इनफिब्युलेशन है, जिसमें वजाइनल ओपनिंग को सिलकर संकरा कर देते हैं।

क्यों किया जाता है

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FGM को भले ही धार्मिक चोला पहनाया जाता रहा, लेकिन असल में ये महिलाओं की यौन इच्छाओं पर कंट्रोल का एक टूल बना रहा। खुद World Health Organization ने माना था कि बच्चियों का कम उम्र में खतना कर दिया जाता है।

इस दौरान External Private Part के उन हिस्सों को कट किया जाता है, जिनसे यौन इच्छाओं का संबंध होता है। इसके पीछे महिलाओं के शादी के पहले संबंध न बनाने, या फिर यौन सुख न पा सकने जैसी सोच हो सकती है।

World Health Organization की साइट पर ये भी जिक्र है कि भले ही ये रिलीजियस प्रैक्टिस हो, लेकिन इसके पीछे कोई रिलीजियस स्क्रिप्ट नहीं दिखती है, जो महिलाओं के खतना की बात करे।

इसमें कितना जोखिम है

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अक्सर ये Practice Community के भीतर ही होती है। FGM को मानने वाले समुदायों की महिलाएं ही बाकियों के साथ ये करती हैं। वे मेडिकल प्रोफेशनल नहीं होतीं, न ही उन्हें हाइजीन की खास जानकारी रहती है।

ऐसे में पाया गया कि खतना की हुई बच्चियां शॉक, हेमरेज मतलब बहुत ज्यादा खून बहना, टिटेनस या गंभीर इंफेक्शन का शिकार हो सकती हैं। बहुत ज्यादा दर्द, बुखार और यूरिनरी संक्रमण को आम माना जाता है।

कई बार इंफेक्शन कंट्रोल न होने पर सेप्टिसीमिया हो जाता है, जिससे FGM विक्टिम की जान जा सकती है।

कई देशों में इसपर पाबंदी

WHO ने इसपर रोक लगाने के लिए वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक रिजॉल्यूशन पास किया। वो सारे देशों से इसे बंद करने की अपील करने लगा। इसका असर भी दिखा। कई देशों में इसपर पाबंदी लग गई। लेकिन भीतरखाने सब कुछ होता रहा।

वहीं मुस्लिम-बहुल अफ्रीकी देशों में ये कॉमन प्रैक्टिस है। सोमालिया में 98 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं खतना की प्रक्रिया से गुजरती हैं। एशिया और लैटिन अमेरिका के मुस्लिम-बहुल समुदायों को मिलाकर कुछ 30 देशों में ये रिपोर्टेड तौर पर हो रहा है।

क्यों गाम्बिया में पाबंदी हटाने की बात

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सोमवार को Gambian Lawmakers ने बैन हटाने को लेकर वोट किया। माना जा रहा है कि बहुत जल्द इस प्रैक्टिस को कानूनी हामी मिल जाएगी। इसकी वजह है धर्मगुरुओं का विरोध।

खतना को गैरकानूनी बनाए जाने के बाद सरकार ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाने लगी जो बच्चियों के साथ ऐसा करते थे। इसपर इस्लामिक धर्मगुरु नाराज हो गए। उनका कहना था कि सरकार उनके कल्चर और धर्म की प्रैक्टिस के हक से छेड़खानी नहीं कर सकती।

गाम्बिया में हवा उल्टी चल रही

गाम्बिया में हवा उल्टी चल रही है। इसपर मानवाधिकार संस्थाएं भी डरी हुई हैं कि इसके बाद चाइल्ड मैरिज से पाबंदी भी हट जाएगी। दूसरी तरफ ऐसी महिलाएं भी हैं जो खुद इस प्रथा के सपोर्ट में आ चुकीं।

वे मानती हैं कि अगर कोई रस्म उनके मजहब में जरूरी है तो सरकार का इसमें दखल नहीं होना चाहिए। सामाजिक रूप में रस निभाने की छूट मिलनी चाहिए।

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