Weather Alert! : भारत में मई का महीना आमतौर पर भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है, लेकिन 2025 में मई ने मौसम का नया रुख दिखाया। बेंगलुरु में पिछले 36 घंटों में 105 मिमी बारिश ने 5 लोगों की जान ले ली, 500 घर डूब गए, और शहर में बाढ़ जैसे हालात बन गए।
उत्तराखंड में भूस्खलन और झारखंड-बिहार में आंधी-तूफान के साथ भारी बारिश ने 10 लोगों की जान ली। पर्यावरणविद सीमा जावेद के मुताबिक, 2025 में वसंत ऋतु गायब रही, सर्दी के बाद सीधे गर्मी शुरू हो गई। इस असामान्य मौसम के पीछे जलवायु परिवर्तन, पश्चिमी विक्षोभ की दिशा में बदलाव, और समुद्री तापमान में वृद्धि प्रमुख कारण हैं।
जलवायु परिवर्तन का कहर, ग्लेशियर पिघले, नदियां सिकुड़ीं
सीमा जावेद बताती हैं कि ग्लोबल वार्मिंग ने मौसम के पैटर्न को पूरी तरह बदल दिया है। नेपाल का याला ग्लेशियर पिघलकर खत्म हो चुका है, जिसे ‘मृत’ घोषित किया गया। हिमालय के ग्लेशियरों का पिघलना बाढ़ और भूस्खलन के खतरे को बढ़ा रहा है। समुद्री तापमान में 1.5°C तक की वृद्धि ने समुद्र के अम्लीकरण को तेज किया, जिससे मछली उत्पादन 17.1% तक कम हो सकता है।
गर्म हवा नमी को ज्यादा सोख रही है, जिससे कम समय में मूसलाधार बारिश हो रही है। ये बारिश ग्राउंडवाटर रिचार्ज या वाटर हार्वेस्टिंग में मदद नहीं करती, बल्कि बाढ़, वज्रपात, और ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचाती है।
पश्चिमी विक्षोभ और समुद्री तापमान ने बिगाड़ा मौसम का मिजाज
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मई 2025 में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) की दिशा और तीव्रता में बदलाव देखा गया। ये विक्षोभ आमतौर पर सर्दियों में बारिश लाते हैं, लेकिन इस बार मई में इनकी सक्रियता ने कर्नाटक, कोंकण, गोवा, और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश और आंधी-तूफान को जन्म दिया।
समुद्री तापमान में वृद्धि ने प्रशांत महासागर में गर्म सतही जल को बढ़ाया, जिससे चक्रवाती गतिविधियां तेज हुईं। ला नीना की संभावना (55% सितंबर-नवंबर 2024 तक) ने भी मॉनसून से पहले भारी बारिश को बढ़ावा दिया।
किसानों और आम आदमी पर दोहरी मार
मौसम के इस बदलाव ने किसानों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। मौसमी फल जैसे आम, लीची, और सेब की पैदावार घटी, और अनियमित बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया। झारखंड में देसी शराब के लिए महुआ की खेती प्रभावित हुई, क्योंकि फूल समय पर नहीं खिले।
किसान अब दूसरी फसलों या अनाज की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, जो खान-पान और स्वास्थ्य को बदल रहा है। बाढ़ और भूस्खलन ने बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, और पानी की बर्बादी ने भूजल स्तर को और कम किया। 2025 तक दो-तिहाई वैश्विक आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।