HomeझारखंडNational Lok Adalat : रांची में 86638 मामले हुए सॉल्व

National Lok Adalat : रांची में 86638 मामले हुए सॉल्व

Published on

spot_img

National Lok Adalat in Ranchi: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायामूर्ति सुजित नारायण प्रसाद के निर्देश पर शनिवार को रांची के व्यवहार न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat) का आयोजन किया गया।

लोक अदालत में 19 पीड़ितों के बीच 50,05,000 रूपये की मुआवजा राशि वितरित की गयी। राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए न्यायिक दण्डाधिकारियों के लिए 40 बेंच और कार्यपालक दण्डाधिकारियों के लिए 20 बेंच का गठन किया गया था।

इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 86638 वादों का निष्पादन किया गया और 5,30,87,75,272 करोड़ रूपयों की समझौता राशि की वसूली विभिन्न वादों में किया गया, जिसमें Prelitigation एवं लिटिगेशन के वादों का निष्पादन सम्मिलित है।

इससे पूर्व राष्ट्रीय लोक अदालत का निरीक्षण करने रांची सिविल कोर्ट पहुंचे Jharkhand High Court के चीफ जस्टिस ने जय जगन्नाथ के साथ अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि रांची सिविल कोर्ट में आकर काफी अच्छा लगा। झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष और Ranchi Civil Court के प्रधान न्यायायुक्त ने राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए काफी मेहनत की। बार का इतना स्नेह मिला अभिभूत हूं। बार और बेंच परिवार एक ही परिवार है। मैंने वकालत से न्यायिक जीवन की शुरुआत की थी, रिटायर होने के बाद वापस वकालत करूंगा।

लोक अदालत में वादी-प्रतिवादियों को कम समय में न्याय मिलता है। लोगों को समय पर न्याय मिलेगा, तभी न्यायिक व्यवस्था का सही इस्तेमाल माना जाएगा। लोक अदालत में वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि हाथों के पांचों अंगुलियां अलग-अलग कार्य करती है, जब पांचों अंगुलियां मिलकर काम करती हैं, तो काम और भी बेहतर होता है। बेंच और बार मिलकर काम करेंगे, तो काम बेहतर होगा, लोगों को सुलभ न्याय मिलेगा।

मौके पर High Court के न्यायाधीश और झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने लोक अदालत को त्वरित और सुलभ न्याय का माध्यम बताया। कार्यक्रम के दौरान लोक अदालत के लाभुकों के बीच सभी न्यायाधीशों ने चेक का वितरण किया। लोक अदालत के दौरान पारिवारिक विवाद खत्म कर दुबारा एक हुए दो जोड़ों को चीफ जस्टिस ने उपहार देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

न्यायायुक्त दिवाकर पांडेय ने कहा कि वादों के निस्तारण का सबसे सुलभ माध्यम लोक अदालत है। लोक अदालत के आयोजन से वादों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाता है। इससे न्यायालय का लंबित मामला कम होता है। वादकारियों को समय और धन का भी बचत होता है।

spot_img

Latest articles

दीपक विभार हत्याकांड सुलझा, 3 शूटर्स गिरफ्तार, हथियार बरामद

Deepak Vibhar murder case: पूर्वी सिंहभूम के सिदगोड़ा में दीपावली की रात हुई दीपक...

हजारीबाग पुलिस ने 2 लूटेरों को दबोचा, बुलेट-फोन बरामद

Hazaribagh police arrested two robbers: हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में मोबाइल छिनतई...

MBBS एडमिशन में फर्जीवाड़ा!, गोड्डा की छात्रा का ST कोटा नामांकन रद्द, FIR की तैयारी

Fraud in MBBS admission: झारखंड के धनबाद में शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड...

झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 से 11 दिसंबर तक चलेगा

Jharkhand Assembly winter session: झारखंड में सियासी पारा चढ़ने वाला है! राज्य विधानसभा का...

खबरें और भी हैं...

दीपक विभार हत्याकांड सुलझा, 3 शूटर्स गिरफ्तार, हथियार बरामद

Deepak Vibhar murder case: पूर्वी सिंहभूम के सिदगोड़ा में दीपावली की रात हुई दीपक...

हजारीबाग पुलिस ने 2 लूटेरों को दबोचा, बुलेट-फोन बरामद

Hazaribagh police arrested two robbers: हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र में मोबाइल छिनतई...

MBBS एडमिशन में फर्जीवाड़ा!, गोड्डा की छात्रा का ST कोटा नामांकन रद्द, FIR की तैयारी

Fraud in MBBS admission: झारखंड के धनबाद में शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड...