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झारखंड के इस जिले में अगले 3 दिनों तक भारी बारिश की संभावना, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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रामगढ़: मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। ‘गुलाब’ तूफान के बाद रामगढ़ जिला एक बार फिर चक्रवाती तूफान से घिर गया है। जिले में गुरुवार को पूरे दिन बारिश होती रही। यह बारिश अगले 3 दिनों तक होने की संभावना है।

कृषि विज्ञान केंद्र ने गुरुवार की शाम को बताया कि अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र जो पश्चिम बंगाल और झारखण्ड की सीमा के ऊपर स्थित था जिसके कारण रामगढ के साथ साथ बंगाल की सीमा से लगे अन्य जिलों में लगातार वर्षा की स्थिति बनी हुई है।

वो अब उत्तरी झारखण्ड और दक्षिणी बिहार के ऊपर स्थित हो गया है। जिसके कारण अगले तीन दिनों (3 अक्टूबर) तक उत्तरी झारखण्ड के साथ रामगढ में भी अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना बनी रहेगी।

पूरे जिले में इस वर्ष 1100 मि०मी० से अधिक वर्षा हो चुकी है

कृषि विज्ञान केंद्र में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अधिकारी आशीष बालमुचू ने यह बताया की पूरे जिले में इस वर्ष 1100 मि०मी० से अधिक वर्षा हो चुकी है।

जो की रामगढ जिले की दक्षिण-पश्चिमी मानसून में होने वाली सामान्य वर्षापात से 15 प्रतिशत अधिक है। सितंबर महीने में ही जिले में 250 मि०मी० से अधिक वर्षा हुई है। इतनी अधिक वर्षा के कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है| धान के खेत जलमग्न हो गए हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ० राघव से किसानों को सलाह दी कि किसान धान के खेतों में भी जल निकासी की व्यवस्था करें।

वर्षा के रुकते ही धान में लगने वाले कीट के रोकथाम के लिए फिप्रोनिल 2 मि०ली० या इन्डोक्साकार्ब 1.5 मि०ली० या फ्लूबेनडियामाइड 1 मि०ली० प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करें।

रबी मौसम के फसलों की भी बुआई में विलंब होगा

स्कीपर कीट के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशी जैसे ट्राईकोग्रामा जेपोनिकम (अंडा भक्षक) का इस्तमाल दो बार (रोपाई के 30 तथा 37 दिनों बाद) के बाद मोनोक्रोटोफ़ॉस का तीन छिडकाव @400 मि०ली०/एकड़ (बुआई के 58, 65, 72 दिनों बाद) करें।

इस वर्षा के कारण रबी मौसम के फसलों की भी बुआई में विलंब होगा। इसके लिए उन्होंने किसानों को सलाह दी कि विभिन्न सब्जियों की नर्सरी में नालियां बना कर वर्षा जल को निकालने का उपाय करें।

वर्षा के रुकते ही मटर, आलू, चना के साथ टोरी, सरसों आदि की उन्नत बीज को पहले फफूंदनाशी बाविसटीन (2 ग्रा०/की०ग्रा० बीज) से उपचार कर, दलहन के बीज को राईजोबियम से तथा तिलहन के बीज को एजोटोबेक्टर से उपचार करने के बाद ही रोपाई करें।

इसके अलावा उन्होंने पशुपालन करने वाले किसानों को सलाह दी कि वे मवेशियों के घरों को स्वच्छ तथा सूखा रखें तथा पशुओं के लिए चारा फसल जैसे संकर नेपियर, गिन्नी घांस, बंडेल लोबिया आदि की बुआई तालाबों या जलाशयों के आस पास कर दें।

जिससे की पशुओं को चारे के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े। मुर्गी पालन करने वाले किसानों को उन्होंने बताया कि अभी के मौसम में मुर्गियों में कवक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः मुर्गियों के बीट में चूना मिला दें तथा सात दिन के चूजों को डीआर वैक्सीन दिलवाएं।

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