झारखंड

सरकार के अफसर कर रहे हैं लैंड माफिया की तरह काम, झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में…

झारखंड हाई कोर्ट ने सरायकेला (Seraikela) निवासी एक व्यक्ति की नौ डिसमिल जमीन पर सरकार के अधिकारियों द्वारा भवन निर्माण किए जाने मामले में सुनवाई की।

Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट ने सरायकेला (Seraikela) निवासी एक व्यक्ति की नौ डिसमिल जमीन पर सरकार के अधिकारियों द्वारा भवन निर्माण किए जाने मामले में सुनवाई की।

High Court ने मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार के अफसर लैंड माफिया की तरह काम कर रहे हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता को उक्त जमीन के बदले मुआवजा राशि का भुगतान करे।

इसके अलावा जमीन पर भवन निर्माण करने मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन से या ऐसी गलती करने वाली एजेंसी से पांच लाख रुपये की वसूली की जाए। यह पांच लाख की राशि याचिकाकर्ता को दी जाए।

याचिका दुर्गा हेंब्रम नामक व्यक्ति ने दायर की थी। इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि उनकी 9 डिसमिल जमीन पर सरकार के अफसरों ने जबरदस्ती भवन निर्माण करा दिया। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त सशरीर कोर्ट में उपस्थित हुए।

वहीं भू राजस्व एवं भवन निर्माण सचिव कोर्ट में ऑनलाइन उपस्थित हुए। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गरीब आदमी जिसके पास सक्षम अधिकारी तक अपनी आवाज पहुंचने का कोई तरीका नहीं है, उसकी जमीन पर सरकार के अधिकारी कब्जा कर भवन निर्माण करा ले रहे हैं।

ये सरकार के अधिकारी Land Mafia की तरह काम कर रहे हैं। इन अधिकारियों और माफियाओं में क्या अंतर रह गया है? कोर्ट ने दोषी अधिकारी को चिन्हित करने के लिए सेवानिवृत्त Judicial Officer के नेतृत्व में वन मैन कमेटी बनाने का निर्देश दिया। इस कमेटी की फीस का वहन याचिकाकर्ता की जमीन पर कब्जा करने एवं उसपर भवन बनवाने वाले जिम्मेदार ऑफिसर या जिम्मेदार सरकारी एजेंसी से किया जाए।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता को उक्त जमीन के बदले मुआवजा राशि का भुगतान करे। इसके अलावा जमीन पर भवन निर्माण करने मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन से या ऐसी गलती करने वाले सरकार की एजेंसी से पांच लाख रुपये की वसूली की जाए।

यह पांच लाख की राशि याचिकाकर्ता को दी जाए। अगर दोषी सरकार के अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं तो उनके सेवानिवृत्ति लाभ की राशि से पांच लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जाए। हाई कोर्ट ने दिशा निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी।

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