झारखंड

झारखंड : नाबालिग छात्रा से छेड़खानी मामले में दो शिक्षकों को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश

धनबाद: जिले में एक नाबालिग से स्कूल में प्राचार्य और शिक्षक द्वारा की गई अश्लील हरकत (छेड़खानी) (Obscene Act) के मामले में Court ने संज्ञान ले लिया है। इस मामले में न्यायालय ने सभी आरोपियों को समन भेजने का आदेश दे दिया है।

इस आदेश के बाद अब Police की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ व पोक्सो (Tampering and POCSO) के आरोप मामले में जांच के बाद पुलिस ने स्कूल के प्राचार्य और शिक्षकों को आरोप मुक्त कर दिया था। लेकिन छात्रा की ओर से लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लेते हुए Court ने कार्यवाही शुरू कर दी है।

दो शिक्षकों को कोर्ट में हाजिर होने का दिया गया आदेश

अदालत ने आरोपियों के खिलाफ POCSO Act की धारा में संज्ञान लेते हुए दो शिक्षकों को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। POCSO के विशेष न्यायाधीश प्रभाकर सिंह की कोर्ट ने स्कूल के शिक्षक सत्येंद्र तिवारी और शोभाराम मांझी के खिलाफ समन जारी करते हुए 15 सितंबर को Court में हाजिर होने का निर्देश दिया है।

पीड़िता के अधिवक्ता केके तिवारी के अनुसार सिंदरी स्थित सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल की सातवीं वर्ग की 12 वर्षीय छात्रा की मां ने सिंदरी थाना में 22 नवंबर 2021 को प्राचार्य, उप प्राचार्य, शिक्षक शोभाराम मांझी और सत्येंद्र तिवारी को आरोपी बनाते हुए FIR दर्ज कराई थी।

दूसरे दिन Class Room में शोभाराम मांझी ने पुत्री के साथ अशोभनीय हरकत की

आरोप में कहा गया था कि उनकी 12 वर्षीय नाबालिग पुत्री ने उन्हें बताया कि दो नवंबर 2021 को जब वह स्कूल के बाथरूम से लौट रही थी, उसी वक्त सत्येंद्र तिवारी ने बुरी नीयत से उसका हाथ पकड़ लिया।

विरोध करने के बाद भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आए। दूसरे दिन Class Room में शोभाराम मांझी ने पुत्री के साथ अशोभनीय हरकत की तथा बुरी नीयत से उसका हाथ पकड़ कर मसला।

अधिवक्ता ने बताया कि Police अनुसंधान के दौरान पीड़िता का धारा 164 के तहत बयान लेने से कतराती रही। बाद में जून 2022 में पीड़िता का न्यायालय में 164 के तहत बयान करवाया गया, जिसमें पीड़िता ने घटना का पूरा समर्थन किया था।

बावजूद Police ने जुलाई 2022 में कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित कर मामले को झूठा एवं तथ्य हीन बता दिया था। सूचक ने इस मामले में प्रोटेस्ट (Protest ) दाखिल किया गया। प्रोटेस्ट अर्जी (Protest Application) के आधार पर कोर्ट ने School के शिक्षकों के विरुद्ध संज्ञान लिया।

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