Jharkhand News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर तीखा हमला बोला। प्रदेश BJP प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने रांची के पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2014 में कांग्रेस-JMM गठबंधन वाली UPA सरकार ने सरना धर्म कोड की मांग को “अव्यवहारिक” बताकर खारिज कर दिया था।
उन्होंने तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी. किशोर चंद्रदेव के 11 फरवरी 2014 के पत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सरना कोड को मानने से अन्य धर्मों से सैकड़ों ऐसी मांगें उठ सकती हैं।
“JMM-कांग्रेस का आंदोलन नाटक, जनता समझती है चालबाजी”
प्रतुल शाहदेव ने JMM और कांग्रेस पर “घड़ियाली आंसू” बहाने और “राजनीतिक अवसरवादिता” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब ये दल केंद्र में सत्ता में थे, तब इन्होंने सरना धर्म कोड को ठुकराया, और अब सत्ता से बाहर होने पर आंदोलन का “ड्रामा” कर रहे हैं। शाहदेव ने मांग की कि दोनों दलों को 2014 के इस “कुकृत्य” के लिए आदिवासी समाज से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रांची महानगर मंत्री अजीत भगत, ST मोर्चा के महानगर महामंत्री अशोक मुंडा, और महिला मोर्चा की मीडिया सह-प्रभारी सोनी हेंब्रम मौजूद थे।
2014 में UPA ने क्यों खारिज किया था सरना कोड?
शाहदेव ने बताया कि UPA सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्री वी. किशोर चंद्रदेव ने लिखित रूप में सरना धर्म कोड को “अव्यवहारिक” करार दिया था। पत्र में तर्क दिया गया था कि सरना कोड को मान्यता देने से अन्य धार्मिक समुदायों से भी अलग कोड की मांगें उठ सकती हैं, जिससे प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ेंगी।
BJP ने इस पत्र को आधार बनाकर JMM-कांग्रेस की वर्तमान सरना कोड मांग को “बेशर्मी” और “चुनावी नौटंकी” बताया।
JMM का जवाब- 27 मई को राज्यव्यापी आंदोलन
JMM ने BJP के आरोपों का जवाब देते हुए सरना धर्म कोड के लिए 27 मई 2025 को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। पार्टी ने सभी जिला, प्रखंड, और पंचायत इकाइयों को समर्थन जुटाने का निर्देश दिया।
JMM प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि 2020 में झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से सरना कोड की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया था, जिसे केंद्र को भेजा गया, लेकिन BJP नीत केंद्र सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया।