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TMC ने NEET पेपर लीक मामले में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अरेस्ट करने की उठाई आवाज

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TMC Raised Voice for arrest of Education Minister Dharmendra Pradhan: तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने रविवार को NEET-UG पेपर लीक मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की गिरफ्तारी की मांग की।

उन्होंने कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि 21 जुलाई 2022 के एक दिन बाद ED ने पार्थ चटर्जी के घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हम गलती करने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं बचाते।

लेकिन अगर SSC-TET घोटाले में पार्थ चटर्जी के घर पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा छापा मारा जा सकता है, और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, तो NEET घोटाले के लिए धर्मेंद्र प्रधान को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाना चाहिए? यह आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। यह भेदभाव क्यों?

बनर्जी ने कहा कि बंगाल के लोगों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को बाहर करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बड़ा सबक सिखाया है। तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान निष्क्रिय रहने वाले अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

उल्लेखनीय है कि 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस कोलकाता में अपनी वार्षिक ‘शहीद दिवस’ रैली आयोजित करती है। बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी की संपत्ति जब्त की थी। चटर्जी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

NEET-UG मामले में Supreme Court में सोमवार को परीक्षा में अनियमितताओं और उसे रद्द करने की मांग से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी।

उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी। खंडपीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

खंडपीठ ने NEET पेपर लीक मामले की जांच कर रही बिहार पुलिस और उसकी आर्थिक अपराध इकाई से भी रिपोर्ट की कॉपी मांगी है। नीट का प्रश्नपत्र लीक होने का खुलासा सबसे पहले पटना पुलिस ने 5 मई को परीक्षा के दिन ही किया था। शहर के शास्त्री नगर थाने में इस संबंध में एक FIR दर्ज कराई गई थी। बाद में मामला बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई को हस्तांतरित कर दिया गया था। केंद्र सरकार ने 23 जून को मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी।

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