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शिवसेना विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किये जाने के संकेत दिए, सुनवाई 1 अगस्त तक टली

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद (Shiv Sena controversy) पर सुनवाई एक अगस्त तक के लिए टाल दी है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों से आपस में बात करके सुनवाई के बिंदुओं का एक संकलन जमा करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने संकेत दिया कि सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है।

 

सुनवाई के दौरान उद्धव गुट के सुभाष देसाई की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल (Advocate Kapil Sibal) ने कहा कि इस तरह से हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है, क्योंकि अनुसूची 10 में संरक्षण नहीं दिया गया है।

सिब्बल ने कहा कि शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं। उन्होंने किसी के साथ विलय भी नहीं किया। सिब्बल ने राज्यपाल के मसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केस लंबित रहते दूसरे गुट को आमंत्रित कर दिया गया।

उसी तरह स्पीकर ने उन्हें वोट डालने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि इन सभी बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को फैसला लेना है। विधानसभा से सभी रिकॉर्ड तलब करें।

यह देखें कि कब क्या कार्रवाई हुई, कैसे हुई। अयोग्य लोगों को लंबे समय तक नहीं रहने देना चाहिए, जल्द सुनवाई होनी चाहिए।

हम सिर्फ रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का आदेश दे रहे हैं : चीफ जस्टिस

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Advocate Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि अलग होने वाला गुट गुवाहाटी चला गया। डिप्टी स्पीकर को अज्ञात ई-मेल से चिट्ठी भेजी कि हमें आप पर विश्वास नहीं।

डिप्टी स्पीकर ने इसे खारिज करके रिकॉर्ड पर ही नहीं लिया। उन्होंने कहा कि जब उसे रिकॉर्ड पर ही नहीं लिया गया तो डिप्टी स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने के दम पर काम से कैसे रोका जा सकता था? सिंघवी ने कहा कि इन विधायकों को वोट डालने का मौका नहीं मिलना चाहिए था। यह कानून ही नहीं, नैतिकता का भी सवाल है।

सिंघवी ने कहा कि अब नए स्पीकर सब कुछ तय करेंगे तो यह सही नहीं होगा। हम मांग करेंगे कि उन विधायकों को अंतरिम रूप से अयोग्य करार दिया जाए। चीफ जस्टिस ने पूछा कि नई याचिका क्या दाखिल हुई है।

तब सिब्बल ने कहा कि यह सुभाष देसाई की है। इसमें अब तक के सारे मुद्दे कवर किए गए हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि सदन में पार्टी के नेता का चुनाव मुख्य पार्टी नहीं, बल्कि विधायक दल करता है।

तब सिब्बल ने कहा कि लेकिन इन लोगों ने कहीं दूर बैठकर कह दिया कि हमारे नेता आप नहीं हैं। तब तक यथास्थिति का आदेश दीजिए। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या स्पीकर के लिए कोई पेश हुआ है।

तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें नोटिस नहीं दिया गया है। वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लेकिन विधानसभा का रिकॉर्ड मंगवाना गंभीर बात होगी। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सिर्फ रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का आदेश दे रहे हैं।

जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक बढ़ा दिया था समय

एक याचिका महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) की ओर से दायर की गई है जो उन्होंने मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले राज्य के डिप्टी स्पीकर की ओर से 14 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के मामले पर फैसला करने से रोकने के लिए दायर की थी।

उस याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के नोटिस का जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक समय बढ़ा दिया था।

दूसरी याचिका शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की ओर से दाखिल की गई है जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने इस्तीफा दे दिया था और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

सुनील प्रभु की ओर से एक और याचिका दायर की गई है जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा के नव नियुक्त स्पीकर की ओर से एकनाथ शिंदे गुट के व्हिप को मान्यता देने को चुनौती दी गई है।

एक याचिका उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने दायर की है। सुभाष देसाई की याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के आदेश को चुनौती दी गई है।

इसके साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) की 3 और 4 जुलाई को हुई कार्यवाही में नए स्पीकर के चुनाव और शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध बताया गया है।

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