झारखंड

अब झारखंड में चारा घोटाले के बाद सामने आया पाइपलाइन घोटाला, 20 करोड रुपए…

एक कर्मचारी ने फर्ज़ी कंपनी (Fake Company) बनाकर उसके माध्यम से अपने सगे संबंधी के खाते में कुल 20 करोड़ रुपए डाल दिए।

Pipeline Scam : चारा घोटाले (Fodder Scam) के बाद झारखंड (Jharkhand) में अब एक बड़ा पाइपलाइन घोटाला (Pipeline Scam) सामने आया है।

यह घोटाला पेयजल स्वच्छता शीर्ष कार्य प्रमंडल (PHED) विभाग में किया गया है।

जानकारी के अनुसार, एक कर्मचारी ने फर्ज़ी कंपनी (Fake Company) बनाकर उसके माध्यम से अपने सगे संबंधी के खाते में कुल 20 करोड़ रुपए डाल दिए।

कैशियर को किया गया अरेस्ट

रांची पुलिस (Ranchi Police) की टीम ने इस मामले में एक्शन लेते हुए कैशियर (Cashier) संतोष कुमार को उसके ससुराल सुखदेवनगर रोड नंबर एक से गिरफ्तार (Arrest) किया है।

पुलिस ने उसके पास 51 लाख रुपये भी बरामद किया है।

संतोष कुमार मूल रूप से बिहार (Bihar) के जहानाबाद (Jhanabad) जिले का है।

वर्तमान में चुटिया (Chutiya) में रहता था। मामला सामने आने बाद संतोष कुमार फरार चल रहा था।

200 करोड रुपए था प्रोडक्ट का बजट

रुपये गबन करने का खेल पिछले चार साल तक चलता रहा और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी।

बाद में जब नये कार्यपालक अभियंता पद पर आए तो मामले का खुलासा हुआ।

साल 2012 में पेयजल विभाग (Drinking Water Department) ने Ranchi में पाइपलाइन बिछाने का काम L&T कंपनी को दिया था।

इस प्रोजेक्ट का बजट (Budget) 200 करोड़ था, लेकिन किसी वजह से इसे बीच में ही बंद कर दिया गया।

इसके बाद कर्मचारी ने इस मौके का फायदा उठाने का प्लान बनाया।

उसने दो निजी कंपनियां बनाईं और अपने सगे-संबंधियों के 15 से अधिक खाते खोले।

इसके बाद उसने L&T कंपनी द्वारा किए हुए काम के बदले दोबारा फर्जी बिल बनाए।

संबंधित लोगों के फर्जी हस्ताक्षर (Fake Signature) किए।

ट्रेजरी में से L&T को जो भुगतान पहले हो गए। उसका दोबारा पेमेंट करा लिया।

फिर दर्ज किया गया FIR

पहले साल 2019 में 1.32 करोड़, वर्ष 2022 में 6 करोड़ और जून 2023 में 14 करोड़ रुपए ट्रेजरी (Treasury) से निकाले गए।

ये पैसे SBI, Axis Bank , ICICI Bank, HDFC Bank और Bank of India में 15 से अधिक खातों में जमा किए गए।

यह खेल लगातार चल रहा था। तभी पिछले साल जून में चंद्रशेखर वहां कार्यपालक अभियंता पद पर आए।

इस अधिकारी के हस्ताक्षर से भी 60 करोड़ का चेक ट्रेजरी में जमा कर दिया गया था। 14 करोड़ की निकासी भी हो गई थी। जांच के लिए मामला विभाग में आया तो इसका खुलासा हुआ। उसके बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

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