Homeझारखंडआदिवासी संगठनों ने लिया एकता का संकल्प, मिलकर लड़ने के लिए…

आदिवासी संगठनों ने लिया एकता का संकल्प, मिलकर लड़ने के लिए…

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Aadiwasi Ekta Maharally: आदिवासी संगठनों के तत्वावधान में रविवार को मोरहाबादी (Morabadi) मैदान में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन किया गया।

महारैली में राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे आदिवासी समुदाय के लोगों ने आदिवासी समुदाय (Tribal Community) की एकता का संकल्प लिया। साथ ही Jharkhand में आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर मिलकर लड़ने की बात कही।

यह महारैली आदिवासियों के ऊपर हो रहे चौतरफा हमले और केंद्र सरकार के जरिये आदिवासियों को संविधान में प्रदत्त सुरक्षा कवच कानूनों को कमजोर करने के खिलाफ आयोजित किया गया। इसके अलावा Delisting का मुद्दा भी उठाया गया।

बंधु तिर्की ने कहा…

महारैली को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री और झारखंड कांग्रेस कमेटी (Jharkhand Congress Committee) के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey)  ने कहा कि आदिवासियों को बांटने वाले राजनीतिक दलों और संगठनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा।

Jharkhand में आदिवासियों के मुद्दे की अनदेखी कर ना तो सत्ता चल सकती है और ना ही सरकार और ना ही राजनीति।

झारखंड में हमलोगों ने कई आंदोलन सामूहिक लड़ाई से जीती है

सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड अलग राज्य की लड़ाई जल-जंगल-जमीन, CNT SPT, विलकिंसन, पांचवीं अनुसूची और परंपरागत अधिकारों के सवाल पर लड़ी गयी थी।

आज हालत यह है कि झारखंड में आदिवासियों को बांटने का काम किया जा रहा है। सरना-ईसाई के नाम पर आदिवासियों को आदिवासियों को विभाजित करने का काम किया जा रहा है। इसे खत्म करना होगा। झारखंड में हमलोगों ने कई आंदोलन सामूहिक लड़ाई से जीती है।

जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि की लूट जारी है

कार्यक्रम के दौरान कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि जिस सोच के साथ झारखंड अलग राज्य बना था वह सोच आज कहीं नजर नहीं आ रही। मोदी सरकार (Modi Government) के आने के बाद से आदिवासी समुदाय के समक्ष चुनौतियां बढ़ी हैं।

जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि की लूट जारी है। आज आदिवासी अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों और संगठनों में हैं लेकिन उन्हें झारखंड के मूल मुद्दे को लेकर आपसी एकता, समझ और समन्वय बढ़ानी चाहिए।

वासवी किड़ो ने डॉ भालचंद्र मुंगेकर की रिपोर्ट के आधार पर आदिवासी समाज की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कई मामलों में आदिवासियों की स्थिति काफी खराब है।

उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग Delisting का मुद्दा उठा रहे हैं लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि आदिवासी Ethnicity का धर्म से कोई नहीं है। इसके अलावा लक्ष्मी नारायण मुंडा, अजय तिर्की, रतन तिर्की, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव सहित कई और वक्ताओं ने भी महारैली को संबोधित किया।

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