BSF jawans returned from Wagah-Attari border: पाकिस्तान की कैद से 20 दिन बाद रिहा हुए BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ की अभी घर वापसी नहीं हो पाई है। पहलगाम आतंकी हमले के अगले दिन, 23 अप्रैल को वह गलती से पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए थे।
सीजफायर डील के बाद 14 मई 2025 को उन्हें वाघा-अटारी जॉइंट चेक पोस्ट के जरिए भारत लाया गया। लेकिन, अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान में उन पर जमकर मानसिक जुल्म ढाए गए, जिसके चलते उनकी डीब्रीफिंग और मेडिकल मूल्यांकन में समय लग रहा है।
पाकिस्तान में मानसिक प्रताड़ना
BSF के इंस्पेक्टर जनरल (पंजाब फ्रंटियर) अतुल फुलझेले ने बताया कि पूर्णम के शरीर पर चोट के निशान नहीं हैं, लेकिन उन्हें मानसिक रूप से गंभीर प्रताड़ना दी गई। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह आंखों पर पट्टी बांधकर ले जाया जाता था।
उन्हें लगातार सोने नहीं दिया गया। X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि उन्हें हवाई जहाजों की आवाज के बीच एयरपोर्ट पर रखा गया ताकि नींद न आए। ब्रश तक नहीं करने दिया, बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया।
BSF जवान से जानकारी निकालने की कोशिश
पूर्णम से भारतीय सीमा पर तैनात सीनियर अधिकारियों की जानकारी और उनके कॉन्ट्रैक्ट डिटेल्स निकालने के लिए दबाव डाला गया।
अधिकारियों ने बताया कि पूर्णम को कई जगहों पर ले जाकर जबरदस्ती पूछताछ की गई, जैसे वह जासूस हों।
उनकी मानसिक स्थिति का आकलन करने के लिए डॉक्टर और केंद्रीय एजेंसियां 360-डिग्री रिव्यू कर रही हैं। इस प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें परिवार या किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात करने की अनुमति नहीं है।
घर वापसी में क्यों हो रही देरी
BSF के मुताबिक, पूर्णम को अभी मेडिकल चेकअप, काउंसलिंग, और इन-डेप्थ डीब्रीफिंग से गुजरना होगा। इसके बाद BSF की पंजाब फ्रंटियर एक जांच करेगी कि वह सीमा पार कैसे गए। तब तक वह ऑपरेशनल ड्यूटी पर नहीं लौट सकेंगे।
BSF प्रवक्ता ने कहा, “हैंडओवर शांतिपूर्ण रहा और प्रोटोकॉल के तहत हुआ। उनकी रिहाई के लिए नियमित फ्लैग मीटिंग्स और अन्य चैनल्स के जरिए प्रयास किए गए।”
पत्नी रजनी शॉ हैंप्रेग्नेंट
पूर्णम की पत्नी रजनी शॉ, जो प्रेग्नेंट हैं, ने उनकी वापसी पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “हम बहुत खुश हैं कि वह सुरक्षित लौट आए। वीडियो कॉल पर उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, पहचानना मुश्किल था।
जल्द ही हम उनसे मिल पाएंगे।” रजनी ने फिरोजपुर और पठानकोट जाकर BSF अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनकी रिहाई के लिए अपील की थी।
पूर्णम के पिता भोला नाथ शॉ, एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी, ने कहा, “14 मई की रात BSF अधिकारियों ने फोन कर बताया कि वह रिहा हो रहे हैं।
हम सरकार, PM मोदी, और ममता दीदी को धन्यवाद देते हैं।” परिवार ने रिश्रा, हावड़ा में मिठाइयां बांटकर खुशी मनाई।