भारत

AIFF प्रमुख प्रफुल्ल पटेल पर भ्रष्टाचार का आरोप

देश में फुटबॉल की शासी निकाय के लिए इतना ज्यादा खर्च करना सही नहीं -शाजी प्रभाकरन

नई दिल्ली: फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन ने अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) के प्रमुख प्रफुल्ल पटेल को एक पत्र लिख कर कहा है कि कानूनी मामलों पर 3 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च करना काफी अधिक था और देश में फुटबॉल की शासी निकाय के लिए इतना ज्यादा खर्च करना सही नहीं था।

हालांकि, एआईएफएफ के महासचिव कुशाल दास ने आरोपों का खंडन किया है, जिसमें कानूनी मामलों पर किए गए खर्च भी शामिल हैं।

एआईएफएफ अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में शाजी ने लिखा, कानूनी मामलों पर 3 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च काफी अधिक है और एआईएफएफ के लिए यह उचित नहीं है।

पिछले तीन वर्षों में मामले में कोई प्रगति नहीं

यहां बचाए गए धन को राष्ट्रीय युवाओं के आयोजन पर खर्च किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि कानूनी टीम ने पिछले तीन वर्षों में मामले में कोई प्रगति नहीं की है।

शाजी ने पत्र में लिखा, आप व्यक्तिगत रूप से चाहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा हो और इस तरह नए वकीलों को इस मामले को निपटाने के लिए अधिकतम तीन महीने का समय दिया जाएगा।

जवाब में कुशल दास ने आईएएनएस से कहा, मुझे नहीं पता कि वह (शाजी) ऐसा क्यों कह रहे हैं। एआईएफएफ कानूनी मामलों पर इतना पैसा खर्च नहीं कर रहा है।

पीआर एजेंसी सहित कानूनी और पेशेवर खर्च बहुत कम है। शाजी ने जो भी आरोप लगाए हैं। वह गलत है। वहीं, एआईएफएफ वेबसाइट में उनके द्वारा किए गए हर खर्च का विवरण का उल्लेख किया गया है।

कानूनी लागत केवल एक करोड़ और कुल लागत 2.23 करोड़ रुपये

उन्होंने कहा, कानूनी लागत केवल एक करोड़ है और कुल लागत 2.23 करोड़ रुपये है, जिसमें राज्य संघों के भी कई मामले हैं, इसलिए उन्होंने जो आंकड़ा दिया है वह इस आंकड़े से मेल नहीं खाते हैं।

शाजी ने एआईएफएफ अध्यक्ष को सुझाव दिया है कि फीफा परिषद के सदस्य और एआईएफएफ के प्रमुख होने के नाते प्रफुल्ल पटेल फीफा को भारत में तत्काल एक सामान्यीकरण समिति बनाने का सुझाव दे सकते हैं, जो कार्यकारी समिति तब नए चुनावों तक एआईएफएफ के मामलों का प्रबंधन करेगी।

हालांकि, कुशल दास ने कहा कि सामान्यीकरण समिति नियुक्त करने का सुझाव देश में खेल के हित में नहीं है।दास ने कहा, मुझे नहीं पता कि वह ऐसा कैसे कह सकते हैं।शायद वह सामान्यीकरण समिति के परिणामों को नहीं समझते हैं।

अगर फीफा एक सामान्यीकरण समिति नियुक्त करता है तो भारत कोई मैच नहीं खेल सकता है। एआईएफएफ का चुनाव अब विचाराधीन है, इसलिए हमें इसके लिए इंतजार करना होगा।

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