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…और अब इस ऐतिहासिक भोजशाला का किया जाएगा पुरातात्विक सर्वेक्षण, कल…

मध्य प्रदेश के धार जिला मुख्यालय पर स्थित ऐतिहासिक भोजशाला में ज्ञानवापी की तर्ज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) द्वारा सर्वे किया जाएगा।

Archaeological Survey of India: मध्य प्रदेश के धार जिला मुख्यालय पर स्थित ऐतिहासिक भोजशाला में ज्ञानवापी की तर्ज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) द्वारा सर्वे किया जाएगा।

यह सर्वे शुक्रवार, 22 मार्च को शुरू होगा। इसके लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पत्र जारी कर जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी है।

अधिकारियों ने सर्वे शुरू करने की बात

यह पत्र इंदौर कमिश्नर सहित कलेक्टर धार व SP धार को जारी किया गया है। इसमें सर्वे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए बंदोबस्त करने के लिए कहा गया है। इस पत्र में अधिकारियों ने सर्वे शुरू करने की बात कही है।

पत्र मिलने के बाद गुरुवार को धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा और पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह प्रशासनिक टीम (Administrative Team) के साथ भोजशाला पहुंचे। उन्होंने पूरे परिसर का निरीक्षण किया। कलेक्टर मिश्रा ने भोजशाला पुलिस चौकी पर अतिरिक्त फोर्स तैनात करने के निर्देश दिए।

हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार

गौरतलब है कि मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में आवेदन दिया था।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की तरफ से Advocate हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने पैरवी करते हुए कोर्ट को कहा कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं, वे साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है। इससे अतिरिक्त कुछ नहीं। हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है। हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र पर कोई बदलाव नहीं होगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1902-03 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत है। रिपोर्ट के साथ फोटोग्राफ भी संलग्न हैं।

इनमें भगवान विष्णु और कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता ही नहीं है। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही 2003 में आदेश जारी हुआ था।

भोजशाला विवाद सदियों पुराना

भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी।

भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। याचिका में कहा गया कि भोजशाला हिंदुओं के लिए उपासना स्थली है।

उच्च न्यायालय ने संस्था हिंदू Front for Justice की याचिका पर सुनवाई के बाद गत 11 मार्च को भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे करने के आदेश जारी किए थे। इसमें पांच सदस्यीय दल भोजशाला का सर्वे करेगा। अलग-अलग बिंदुओं पर यह सर्वे होना है।

इसके तहत मुख्य रूप से यह बात सामने आ सकती है कि यहां पर किस तरह के प्रतीक चिन्ह है और किस तरह की यहां की वास्तु शैली है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि यह किस तरह की धरोहर है।

फोटो भी एकत्रित करने का आदेश

कोर्ट के आदेश अनुसार, ASI महानिदेशक की निगरानी में पांच सदस्यीय टीम भोजशाला का सर्वे करेगी। इसके साथ ही ये कमेटी अगले छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्ष यानी हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दो-दो प्रतिनिधियों को सर्वे के दौरान वहां मौजूद रहने की अनुमति है। पूरे सर्वे की Videography के साथ ही फोटो भी एकत्रित करने का आदेश दिए।

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