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ED और CBI ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ ‘खोला आरोपों का पुलिंदा’, बताया शराब घोटाले का मास्टरमाइंड

दिल्ली शराब घोटाला (Delhi Liquor Scam) मामले में दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई Rouse Avenue Court में हुई।

Bail Application of Manish Sisodia: दिल्ली शराब घोटाला (Delhi Liquor Scam) मामले में दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई Rouse Avenue Court में हुई।

सिसोदिया की जमानत याचिका पर CBI और ED ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल तक टाल दी।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ED और CBI ने सिसोदिया के खिलाफ आरोपों का पुलिंदा खोल दिया और सिसोदिया को जमानत याचिका का विरोध किया।

वहीं ED ने ओबरॉय होटल में हुई बैठक का भी जिक्र किया, वहीं CBI ने कहा कि दिल्ली के Deputy CM मनीष सिसोदिया ही शराब घोटाले के Mastermind हैं। बता दें सिसोदिया अभी जेल में बंद हैं।

ED ने अपनी दलीलें में कोर्ट को बताया कि अगर मनीष सिसोदिया के वकील सिर्फ ट्रायल में देरी को लेकर जमानत लेना चाह रहे हैं तो इस मुद्दे को लेकर उन्हें हलफनामा दायर करना चाहिए।

ED ने कहा कि पहले भी बड़ी संख्या में आवेदन दायर किये गए थे और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमा कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है। ED ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा है कि अगर अपराध गंभीर है तो केवल देरी अंतरिम जमानत का आधार नहीं हो सकता है। High Court ने भी जांच में शामिल नहीं होने पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।

जांच एजेंसी ने कहा कि अपराध बेहद गंभीर है। एक सार्वजनिक व्यक्ति ने एक नीति बनाई जो कुछ थोक विक्रेताओं के पक्ष में थी।

Supreme Court ने अपराध की आय के रूप में 338 करोड़ का आंकड़ा निकाला, यह अतिरिक्त 7 फीसदी थोक विक्रेताओं के लाभ में वृद्धि थी। ED ने कहा कि तीन दिनों के भीतर बिना किसी बैठक या चर्चा के 12 फीसदी का प्रॉफिट मार्जिन पेश किया गया।

ED ने कहा कि पॉलिसी वापस लेने की एकमात्र वजह जांच थी। शराब पॉलिसी मतलब अवैध लाभ प्राप्त करने का एक बेहतरीन जरिया था। ED ने कहा कि साउथ ग्रुप के साथ ओबेरॉय होटल में बैठक हुई थी। सभी सह आरोपी उस बैठक में मौजूद थे, उनमें से कुछ सरकारी गवाह बन गए हैं।

ED ने कहा कि मनीष सिसोदिया सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे। वहीं सिसोदिया का कहना था कि उनका फोन क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन वह यह नहीं बता सके कि उनका पिछला फोन कहां है। जिस दिन एलजी ने CBI में शिकायत दर्ज कराई, उसी दिन उन्होंने अपना फोन बदल लिया।

आबकारी विभाग (Excise Department) में काम करने वाले एक अधिकारी ने बयान में कहा कि सिसोदिया ने पुराने ड्राफ्ट कैबिनेट नोट को नष्ट कर दिया ताकि इसे कोई न देख सके।

ED के बाद अब CBI ने जमानत याचिका पर कोर्ट को दलील दी। CBI ने कोर्ट को बताया कि वह मामले में लिखित दलीलें दायर करेगी। CBI ने भरी अदालत में कहा कि सिसोदिया ही शराब नीति के मास्टरमाइंड हैं। वह मैन आर्किटेक्ट है और साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये मिले थे। CBI की ओर से मामले में कोई देरी नहीं की गई है।

CBI ने आगे कहा कि साउथ ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए एक्साइज पॉलिसी बनाने की पूरी साजिश के मास्टरमाइंड मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) हैं।

CBI ने आगे बताया कि सिसोदिया कहते हैं कि दूसरे आरोपियों को जमानत मिल गई मगर इनकी भूमिका, इनको जो एक्शन है, उसके मुताबिक समानता का आधार इनके ऊपर लागू नहीं होता।

इसके बाद मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर Rouse Avenue Court में सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई 20 अप्रैल तय की है।

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