Emergency landing of F-35B: दुनिया के दो सबसे अत्याधुनिक और महंगे सैन्य विमान-ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B स्टील्थ फाइटर जेट और अमेरिकी वायुसेना का B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर-हाल ही में तकनीकी खराबियों के कारण आपात लैंडिंग के बाद फंस गए हैं।
14 जून 2025 को केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर F-35B की आपात लैंडिंग और 21 जून 2025 को हवाई के डैनियल के. इनौये अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर B-2 की लैंडिंग ने अमेरिका और ब्रिटेन की सैन्य तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये घटनाएं दुनिया की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली वायुसेनाओं की तकनीकी चुनौतियों को उजागर करती हैं।
केरल में फंसा ब्रिटिश F-35B
14 जून 2025 को ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट, जो HMS प्रिंस ऑफ वेल्स विमानवाहक पोत से उड़ान भर रहा था, खराब मौसम और कम ईंधन के कारण तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ। भारतीय वायुसेना (IAF) ने इसे सुरक्षित लैंडिंग के लिए सहायता प्रदान की। लैंडिंग के बाद, विमान में हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी पाई गई, जिसके कारण यह 14 दिन बाद भी उड़ान नहीं भर सका।
ब्रिटिश तकनीशियनों ने मरम्मत का प्रयास किया, लेकिन समस्या बरकरार है। ब्रिटेन ने शुरू में विमान को एयर इंडिया के हैंगर में स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसके स्टील्थ तकनीक और संवेदनशील सेंसर सिस्टम को गुप्त रखने की चिंता थी। हालांकि, 28 जून को ब्रिटिश अधिकारियों ने हैंगर में स्थानांतरण की सहमति दी, जब विशेष उपकरणों के साथ एक बड़ी तकनीकी टीम केरल पहुंचने वाली है। विमान को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की कड़ी सुरक्षा में रखा गया है, जो खुले में खड़ा है और केरल की मॉनसून बारिश का सामना कर रहा है।
हवाई में B-2 की आपात लैंडिंग
21 जून 2025 को अमेरिकी वायुसेना का B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर, जिसे दुनिया का सबसे महंगा और उन्नत बमवर्षक माना जाता है, हवाई के डैनियल के. इनौये अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ। यह विमान कथित तौर पर एक नकली मिशन का हिस्सा था, जिसका मकसद ईरान के परमाणु ठिकानों पर “छलावा हमले” का अभ्यास करना था।
इस रणनीति का उद्देश्य ऑनलाइन ट्रैकर प्लेटफॉर्म्स के जरिए विरोधियों को गुमराह करना था, जिसमें कुछ B-2 विमानों को प्रशांत महासागर की ओर भेजा गया, जबकि असली स्ट्राइक फोर्स अटलांटिक से पूर्व की ओर रवाना थी। हालांकि, इस मिशन के दौरान एक B-2 में तकनीकी खराबी (संभावित रूप से हाइड्रोलिक या इंजन से संबंधित) के कारण उसे हवाई में उतरना पड़ा।
यह पहली बार नहीं है जब B-2 को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा। 2023 में भी एक B-2 ने हवाई में आपात लैंडिंग की थी और महीनों तक मरम्मत के लिए रुका रहा। B-2, जो 1980 की तकनीक पर आधारित है, अपने जटिल रखरखाव और उच्च ऑपरेशनल लागत के लिए जाना जाता है। एक B-2 की कीमत लगभग 2.2 बिलियन डॉलर है, और इसका प्रति घंटा उड़ान खर्च 150,000 डॉलर से अधिक है।
तकनीकी चुनौतियां और सवाल
F-35B और B-2 दोनों ही पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान हैं, जिन्हें रडार से बचने और जटिल युद्ध परिदृश्यों में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। F-35B अपने शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) क्षमता के लिए जाना जाता है, जबकि B-2 40,000 पाउंड से अधिक पेलोड ले जाने और घने हवाई रक्षा क्षेत्रों में घुसपैठ करने में सक्षम है।
हालांकि, दोनों विमानों की हालिया घटनाओं ने उनकी विश्वसनीयता और रखरखाव की चुनौतियों पर सवाल उठाए हैं। F-35 कार्यक्रम, जिसकी कुल लागत 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, पहले भी तकनीकी खामियों और उच्च रखरखाव लागत के लिए आलोचना का शिकार रहा है।
B-2, जो अपने करियर के अंतिम दौर में है, महंगे रखरखाव और सीमित बेड़े (केवल 20 विमान) के कारण दबाव में है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाएं अमेरिका और ब्रिटेन की सैन्य तैयारियों में कमजोरियों को दर्शाती हैं, खासकर तब जब ये विमान जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।