झारखंड

झारखंड के हिंसा और मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक को गवर्नर ने राष्ट्रपति को भेजा, अब आगे…

बताया जाता है कि इसमें हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) द्वारा पारित कानून से जुड़े कुछ तकनीकी मुद्दे उठाए गए हैं।

Mob Lynching Prevention Bill : ऐसी जानकारी मिल रही है कि झारखंड विधेयक 2021 (हिंसा और मॉब लिंचिंग की रोकथाम) को गवर्नर सीपी राधाकृष्णन (Governor CP Radhakrishnan) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के पास विचार के लिए भेज दिया है।

बताया जाता है कि इसमें हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) द्वारा पारित कानून से जुड़े कुछ तकनीकी मुद्दे उठाए गए हैं।

राजभव सूत्रों के अनुसार, विधेयक (Bill) को मंगलवार को राष्ट्रपति (President) के पास भेजा गया है।

पहले के गवर्नर ने सरकार को लौटा दिया था यह विधेयक

बता दें कि इस बिल को दिसंबर 2021 में झारखंड विधानसभा (Jharkhand Vidhansabha) द्वारा पारित किया गया था, इसके बाद जब उसे तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) के पास उनकी सहमति लेने के लिए भेजा गया, तो उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 200 में उल्लेखित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए 18 मार्च, 2022 को उसे पुनर्विचार करने के लिए वापस कर दिया।

साथ ही उन्होंने विधेयक की दो गलितियों की ओर भी ध्यान दिलवाया था।

इसलिए भेजा गया प्रेसिडेंट को…

अब बताया जा रहा है कि ‘यह विधेयक दो या अधिक हिंसक व्यक्तियों के समूह को भीड़ के रूप में परिभाषित करता है, जो कि भारतीय दंड संहिता में दी गई इसी शब्द की परिभाषा से अलग है, उसमें पांच या अधिक हिंसक व्यक्तियों के समूह को भीड़ के रूप में परिभाषित किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई भारतीय न्याय संहिता (BNS) भी पांच या अधिक लोगों के समूह को ही भीड़ के रूप में परिभाषित करती है।

एक ही देश में एक ही शब्द के अलग-अलग अर्थ कैसे हो सकते हैं? इसमें कानूनी उलझने हैं, इसी वजह से विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा गया है।’

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