झारखंड

मंत्री आलमगीर और पंकज मिश्रा मामले में DSP का क्लीन चिट देना गलत: बाबूलाल मरांडी

रांची: भाजपा (BJP) विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने कहा कि साहिबगंज के DSP ने मुख्यमंत्री (CM) के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम (Pankaj Mishra and Minister Alamgir Alam) पर 22 जून, 2020 को हुए एक केस में अत्यंत सक्रियता दिखाते हुए 24 घंटे के भीतर सुपरविजन (Supervision) कर दोनों को क्लीन चिट (clean chit) भी दे दी। इस हड़बड़ी में जांच और जांच की मंशा भी प्रथम दृष्टया संदेहास्पद है।

चौबीस घंटे में ही मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को क्लीनचिट दे दिया

उन्हाेंने कहा कि जिस राज्य में हजारों केस DSP के सुपरविजन (Supervision) की प्रतीक्षा में थानों में महीनों/वर्षों से पड़े हो, वहां साहिबगंज में एक DSP ने हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के प्रतिनिधि साहेबगंज के सुपर मुख्यमंत्री पंकज मिश्रा को केस से बचाने के लिए 24 घंटे के भीतर सुपरविजन कर लेता है, जहां की न्यायपालिका (Judiciary) इतनी सजग और स्वतंत्र हो, ये सब कैसे हो सकता है? कैसे कोई पुलिस अधिकारी अपनी वर्दी की मर्यादा को ताक पर रख कर न्यायिक व्यवस्था (Judicial System) से खिलवाड़ कर सकता है।

उन्होंने कहा कि बिजली की गति से भी तेज काम करने वाली साहिबगंज पुलिस ने तो चौबीस घंटे में ही मुख्यमंत्री के विधायक (MLA) प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को क्लीनचिट दे दिया लेकिन सरेआम महिला को थाने में बेइज्जत करने वाले दारोगा हरीश पाठक पर हुए उस मुकदमे में डेढ़ साल बाद भी चार्जशीट (Charge Sheet) हुआ या नहीं? राज्य का गृह मंत्री होने के नाते इन सारे सवालों का जवाब मुख्यमंत्री को जनता के सामने देना चाहिए।

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