झारखंड

झारखंड : E-Vidya वाहिनी के आधार पर बेहतर शिक्षा देने में पिछड़ रहे विद्यालयों में सुधार के लिए अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी

बोकारो: जिले में शिक्षा (Education) की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए लगातार की जा रही निगरानी के बीच राज्य परियोजना निदेशक ने सूची जारी कर दी है।

यह सब जिले के पचास विद्यालयों की खराब शिक्षा गुणवत्ता (Poor Education Quality) को देखते हुए किया गया है। इन सभी स्कूलों (Schools) की शिक्षा की गुणवत्ता काफी खराब पाई गई है।

हालांकि ई-विद्या वाहिनी (E-Vidya Vahini) के आधार पर अच्छी शिक्षा देने में पिछड़ रहे विद्यालयों में सुधार लाने के लिए कई अधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

इसके तहत अधिकारियों को खराब स्थिति में चल रहे विद्यालयों की रिपोर्ट (Report) को तैयार करने के बाद उसे राज्य परियोजना निदेशक को सौंपने के निर्देश दे दिए गए हैं।

जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक को 10 स्कूल, जिला शिक्षा पदाधिकारी सात, जिला शिक्षा अधीक्षक सात, अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी 10, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी 10 और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी की ओर से 15 स्कूलों का निरीक्षण हमेशा करना होगा।

स्कूलों के निरीक्षण करना, देखरेख करने के साथ अधिकारियों को प्रतिवेदन तैयार करने का काम नवंबर महीने से ही शुरू करेंगे।

शिक्षकों की उपस्थिति का रिकॉर्ड भी देखा जाएगा

स्कूलों में कार्यरत शिक्षक (Teacher) कितने हैं। शिक्षकों की उपस्थिति कितनी रहती है। प्रयोगशाला (The Laboratory) का प्रयोग प्रतिदिन होता है कि नहीं, पिछले तीन महीने में प्रयोगशाला में क्या-क्या प्रयोग हुए, किस तरह की पुस्तकें (Books) पुस्तकालय (Library) में उपलब्ध हैं, पुस्तकालय का संचालन कौन करता है, समय-समय पर जांच शिविर का आयोजन किया जाता है कि नहीं।

विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले चिन्हित हैं या नहीं, डिजिटल लर्निंग (Digital Learning) की व्यवस्था, MDM की जानकारी, स्मार्ट क्लास (Smart Class), ई विद्या वाहिनी (E Vidya Vahini) का प्रयोग होता है या नहीं सहित बच्चों की जानने व सीखने की क्षमता का आकलन किया जाएगा।

विद्यालय में हर किसी के उपस्थिति की हर स्तर पर की जाएगी जांच

जांच के दौरान इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि विद्यालय में कितने शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें इस बात का भी रिकॉर्ड रखा जा रहा है कि उन शिक्षकों की उपस्थिति (Presence) कितनी है।

विद्यालय में विद्यार्थियों (Students) के लिए जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका कितना इस्तेमाल किया जा रहा है। तीन माह में स्कूल की प्रयोगशालाओं का कितना इस्तेमाल किया गया और क्या-क्या उपयोग हुआ है।

हर स्तर पर इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि पुस्तकालय का संचालन कौन करता है, समय-समय पर जांच शिविर का आयोजन किया जाता है कि नहीं।

विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले चिन्हित हैं या नहीं, डिजिटल लर्निंग की व्यवस्था, एमडीएम की जानकारी, स्मारट क्लास, ई विद्या वाहिनी का प्रयोग होता है या नहीं।

जिले के कई विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे

जिले में हालात ये हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में कई नामीगिरामी विद्यालय में काफी पीछे हैं। इसमें रामविलास प्लस टू हाई स्कूल बेरमो, रामरतन उवि ढोरी, प्लस टू हाई स्कूल भेंडरा, पंचानन राजबाला प्लस टू उवि सतनपुर, प्रावि को आपरेटिव कॉलोनी, सर्वोदय प्लस टू उवि पिंड्राजोरा, भूषण प्लस टू उवि नावाडीह, श्रीमहावीरजी प्लस टू हाई स्कूल बिजुलिया, प्लस टू उवि बरमसिया, मवि कथारा, मवि सेक्टर दो सहित 50 स्कूलों के नाम शामिल हैं। ऐसे में निदेशालय इस बात पर विशेष ध्यान दे रहा है कि इस तरह के स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सके।

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