Sexual Harassment Complaints Received in JNU: गेट 7 वर्षों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) की 151 शिकायत दर्ज की गई हैं। यह जानकारी एक RTI (सूचना का अधिकार) आवेदन के जरिए प्राप्त आंकड़ों से मिली है।
JNU की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने 2017 में ही उत्पीड़न विरोधी लैंगिक संवेदनशीलता समिति (GSCASH ) का स्थान लिया था।
विश्वविद्यालय का दावा है कि उसने इनमें से लगभग 98 प्रतिशत शिकायतों का समाधान कर दिया है तथा केवल तीन मामलों की ही जांच जारी है।
इसलिए गोपनीयता का दिया हवाला…
बहरहाल, जब शिकायतों की प्रकृति और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो JNU ने गोपनीयता का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया। GSCASH को 2017 में समाप्त करने का निर्णय एक विवादास्पद मुद्दा (Controversial Issue) रहा है। JNU छात्र संघ और शिक्षक संघ इसकी बहाली की लगातार मांग कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि ICC में पारदर्शिता और स्वायत्तता का अभाव है जबकि GSCASH में ये दोनों हैं। उनका कहना है कि ICC प्रशासनिक प्रभाव के तहत काम करती है, जिससे इसकी प्रक्रियाओं में विश्वास कम होता है।
साल 10 साल के आंकड़े
आंकड़ों से पता चलता है कि एक साल में सबसे अधिक मामले 2018-19 में दर्ज किए गए। इस अवधि में 63 शिकायत दर्ज की गईं।
ICC के गठन से पहले, 2016 में JNU को 38 रिकॉर्ड शिकायत मिली थीं। COVID-19 महामारी के दौरान इन मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई और 2019 एवं 2021 के बीच केवल छह शिकायत दर्ज की गईं। ऐसी संभावना है कि इस दौरान परिसर में गतिविधियां कम होने के कारण ऐसा हुआ।
हाल के वर्षों में संख्या में वृद्धि हुई है, 2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायत दर्ज की गईं। आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में 17 मामले, 2018-19 में 63, 2019-20 में पांच, 2020-21 में एक और 2021-22 में पांच मामले दर्ज किए गए।
गहन जांच के दायरे में आई यूनिवर्सिटी
दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 2015 में पाया था कि शहर के शैक्षणिक संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों के सबसे अधिक मामले JNU में सामने आए और 2013 से 2015 के बीच तीन साल की अवधि में 51 मामले दर्ज किए गए जो इस अवधि के दौरान दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों में मिली कुल शिकायतों का लगभग 50 प्रतिशत था। हाल में कई मामलों ने जेएनयू को गहन जांच के दायरे में ला दिया है।
अनिश्चितकालीन हड़ताल की स्थिति
द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से की गई ‘‘यौन उत्पीड़न’’ की उसकी शिकायत पर कथित ‘‘निष्क्रियता’’ के बाद अप्रैल में लगातार 12 दिन तक परिसर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। बाद में पीड़िता और उसके समर्थकों को विरोध प्रदर्शन करने के लिए विश्वविद्यालय ने दंडित किया था। अक्टूबर में, 47 छात्राओं ने परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान हुए कथित यौन उत्पीड़न और हिंसा के संबंध में ICC के समक्ष संयुक्त शिकायत दर्ज कराई थी।
प्रोफेसर ने किया छात्रा का उत्पीड़न
इसी तरह, अप्रैल में, छात्र संघ ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में चीनी और दक्षिण-पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र की एक छात्रा का उसके प्रोफेसर ने यौन उत्पीड़न किया और उसकी शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता ने उसे परिसर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
इन घटनाओं के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और शिकायतों से निपटने के ICC के तरीके पर सवाल उठे।