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Political Crisis Maharashtra : महाराष्ट्र के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर की ओर से विधायकों को जवाब देने के लिए तय किए गए समय को बढ़ाकर 12 जुलाई कर दिया है।

जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने 12 जुलाई की शाम साढ़े पांच बजे तक विधायकों की ओर जवाब दाखिल करने का समय दिया है।

सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को अयोग्यता के मामले पर विचार करने का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि उनके खिलाफ उन्हें हटाने का प्रस्ताव लंबित है।

पहले स्पीकर को यह साबित करना चाहिए कि विधायकों के बहुमत का समर्थन उनके साथ है। जिस स्पीकर को बहुमत का समर्थन हो, वह फ्लोर टेस्ट से क्यों डरेगा।

कौल ने नबाम रेबिया (Nabam Rebia) के केस का उदाहरण दिया। इस पर शिवसेना विधायक दल के नेता अजय चौधरी की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि नबाम रेबिया केस का उदाहरण गलत तरीके से दिया जा रहा है।

तब कोर्ट ने कहा कि हम पहले डिप्टी स्पीकर (deputy speaker) के वकील को सुनना चाहते हैं। तब डिप्टी स्पीकर के लिए पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि पहले सिंघवी को बोलने दिया जाए।

सिंघवी ने कहा कि कौल ने सुप्रीम कोर्ट के इस बात का जवाब नहीं दिया कि मामला हाई कोर्ट में नहीं चलना चाहिए। सिंघवी ने कहा कि राजस्थान का अपवाद छोड़ दें तो सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी स्पीकर के पास लंबित कार्रवाई पर सुनवाई नहीं की है।

उनका अंतिम फैसला आने पर कोर्ट में सुनवाई होती है। कोर्ट ने कहा कि आप नबाम रेबिया फैसले के आधार पर बात करिए। क्या अपने खिलाफ प्रस्ताव लंबित रहते भी स्पीकर को सुनवाई करनी चाहिए।

तब सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 212 कोर्ट को विधानसभा (Assembly) में लंबित रहने पर किसी विषय पर दखल देने से रोकता है।

डिप्टी स्पीकर ने विधायकों को शाम साढ़े पांच बजे तक का समय दिया

तब कोर्ट ने पूछा कि क्या हम यह सुनवाई कर विधानसभा की कार्रवाई में दखल दे रहे हैं। जस्टिस पारदीवाला ने सिंघवी से पूछा कि आप यह बताइए कि नबाम रेबिया इस केस में लागू क्यों नहीं हो सकता।

अनुच्छेद 212 पर आपकी दलील को मानें तो यही लगता है कि नबाम रेबिया केस में इस पर विचार नहीं किया गया या फिर यह विचार के लायक ही नहीं था।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम विधानसभा के सक्षम अधिकारी से जवाब मांगेंगे कि डिप्टी स्पीकर को प्रस्ताव मिला था या नहीं। क्या उन्होंने उसे खारिज कर दिया।

तब सवाल यह उठेगा कि क्या वह अपने ही मामले में जज हो सकते हैं। तब सिंघवी ने कहा कि विधायक सूरत चले गए थे। एक अज्ञात ई-मेल (Unknown email) से डिप्टी स्पीकर को नोटिस आया था।

उन्होंने उसे खारिज कर दिया। तब धवन ने कहा कि डिप्टी स्पीकर तभी किसी नोटिस पर विचार कर सकते हैं, जब उसके सही व्यक्ति की तरफ से आने की पुष्टि हो।

कोर्ट ने पूछा कि इस पुष्टि का क्या तरीका हो सकता है। विधायकों ने उनसे फ्लोर टेस्ट के लिए कहा था, पर उसे खारिज किया गया।

कोई हलफनामा दाखिल करें कि नोटिस को सही जगह से आया हुआ क्यों नहीं माना गया। तब धवन (Dhawan) ने कहा कि हम हलफनामा दाखिल करेंगे।

तब कोर्ट ने कहा कि आप सब लोग कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कीजिए लेकिन डिप्टी स्पीकर ने विधायकों को शाम साढ़े पांच बजे तक का समय दिया है।

तब धवन ने कहा कि उन्हें डिप्टी स्पीकर के पास आज ही जवाब देना चाहिए। फिर भी अगर चाहें तो समय दिया जा सकता है।

उसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम एकनाथ शिंदे और भगत गोगावले (Eknath Shinde and Bhagat Gogavale) की याचिका पर नोटिस जारी कर रहे हैं। तीन दिन के अंदर जवाब दाखिल किया जाए।

एकनाथ शिंदे और भगत गोगावले ने दायर की याचिका

सुनवाई के दौरान नीरज किशन कौल ने कहा कि विधायकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है। संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है ।

तब कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के वकील सभी 39 विधायकों और उनके परिवार की सुरक्षा का आश्वासन दे रहे हैं। हम इसे नोट कर रहे हैं।

सुनवाई के दौरान वकील देवदत्त कामत ने कोर्ट से यह कहने की मांग की कि कोर्ट में यह मामला लंबित रहने तक कोई फ्लोर टेस्ट न हो। कोर्ट ने कहा कि हम पूर्वानुमान पर आदेश नहीं दे सकते। अगर कोई कारण हो तो आप कोर्ट आ सकते हैं।

एकनाथ शिंदे और भगत गोगावले ने याचिका दायर की है। याचिका में अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी गई है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को चुनौती देते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन पर आपत्ति जताई है।

याचिका में बागी विधायकों ने अयोग्यता की कार्यवाही शुरू किए जाने को चुनौती दी है। याचिका में डिप्टी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र को चुनौती (challenge) दी गई है। उन्होंने कहा कि जो लोग अल्पमत में हैं, वे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

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