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‘बागेश्वर धाम वाले बाबा’ आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने खुद पर लगे आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा -“मैं कोई संत नहीं हूं”

नई दिल्ली: बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) सरकार के नाम से मशहूर कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री (Acharya Dhirendra Shastri) ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर अब अपनी चुप्पी तोड़ी और सफाई दी है।

उन्होंने कहा कि हम लोगों के बीच कोई अंधविश्वास (Blind Faith) नहीं फैला रहे हैं। हम इस बात का दावा नहीं करते कि हम कोई समस्या दूर कर रहे हैं। और मैंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं‌।

धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा कि अनुच्छेद-25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) के अधिकार है और उसी के तहत वह धर्म का प्रचार किया करते हैं। इसके बाद कथावाचक ने गुस्साते हुए कहा- मैं संविधान को मानने वाला व्यक्ति हूं।

अगर हनुमान भक्ति करना गुनाह है तो सभी हनुमान भक्तों पर FIR दर्ज होनी चाहिए, फिर सोच लो ये लोग तुम्हारा चेहरा कैसे लाल करते हैं।

'बागेश्वर धाम वाले बाबा' आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने खुद पर लगे आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा -"मैं कोई संत नहीं हूं" - 'Bageshwar Dham Wale Baba' Acharya Dhirendra Shastri broke his silence on the allegations leveled against him, said - "I am not a saint"

“हम कोई संत नहीं हैं”

बताते चलें कि धीरेंद्र शास्त्री पर आरोप लगते रहते हैं कि वो संत होकर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। इस पर बाबा ने कहा कि वो संत ही नहीं हैं तो फिर अभद्रता कैसी? उन्होंने कहा कि हमारा डिस्क्लेमर है कि हम कोई संत नहीं हैं।

मालूम हो कि धीरेंद्र शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम में कथा वाचन करते हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उनका प्रभाव है।

'बागेश्वर धाम वाले बाबा' आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने खुद पर लगे आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा -"मैं कोई संत नहीं हूं" - 'Bageshwar Dham Wale Baba' Acharya Dhirendra Shastri broke his silence on the allegations leveled against him, said - "I am not a saint"

जादू-टोने और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप

धीरेंद्र शास्त्री की महाराष्ट्र के नागपुर में ‘श्रीराम चरित्र-चर्चा’ का आयोजन हुआ था। जिसके बाद अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाया था।

समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा था कि ‘दिव्य दरबार’ और ‘प्रेत दरबार’ की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है।

देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी और शोषण किया जा रहा है।’ इसके बाद दावा किया गया है कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति की वजह से दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को ही धीरेंद्र शास्त्री की कथा संपन्न हो गई।

'बागेश्वर धाम वाले बाबा' आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने खुद पर लगे आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, कहा -"मैं कोई संत नहीं हूं" - 'Bageshwar Dham Wale Baba' Acharya Dhirendra Shastri broke his silence on the allegations leveled against him, said - "I am not a saint"

क्यों भाग निकले शास्त्री?

कहा गया कि जब समिति ने पुलिस से शिकायत की तो शास्त्री वहां से भाग निकले। समिति ने कहा कि बाबा के समर्थकों को यह बात पता चल गई कि महाराष्ट्र में जो अंधश्रद्धा विरोधी कानून (Anti Superstition Law) है, उसमें गिरफ्तारी हुई तो जमानत नहीं होगी, इसलिए बाबा ने पहले ही पैकअप कर लिया।

ये छोटी मानसिकता के लोग हैं

अब करीब एक हफ्ते की चुप्पी के बाद शास्त्री ने इसपर कहा कि- मैं नागपुर से नहीं भागा। यह सरासर झूठी बात है। हमने पहले ही बता दिया था कि 7 दिन का ही कार्यक्रम होगा।

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इसके बाद उन्होंने कहा कि जब मैंने दिव्य दरबार लगाया था तब शिकायत लेकर क्यों नहीं आए? ये छोटी मानसिकता (Small Minded) के लोग हैं और हिंदू सनातन के विरोधी भी हैं।

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