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अति का परिणाम बुरा होता है, अत्यधिक खुशी का रिजल्ट डेथ भी संभव

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Death is Also Possible as a Result of Excessive Happiness: हमारे यहां अति सर्वत्र वर्जित की बात कही जाती है। मतलब अति का परिणाम बुरा होता है। जापान में हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि ज्यादा खुशी भी हमारी हेल्थ (Health) के लिए खतरनाक हो सकती है।

यह सब सुनकर आपका दिमाग घूम गया होगा। खुशी भी एक ऐसी कंडीशन होती हैं, जिसमें व्यक्ति के इमोशंस उफान पर होते हैं। चलिए इससे जुड़ी Study के बारे में जान लेते हैं।

अति का परिणाम बुरा होता है, अत्यधिक खुशी का रिजल्ट डेथ भी संभव HEALTH NEWS The consequences of excess are bad, death is also possible as a result of excessive happiness.

एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान के हिरोशिमा सिटी हॉस्पिटल (Hiroshima City Hospital) के डॉ. हिकारू सातो और उनके सहयोगियों ने एक हालिया स्टडी में अत्यधिक खुशी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है।

इस स्टडी में पता चला है कि अत्यधिक खुशी की कंडीशन में लोग ‘Happy Heart Syndrome’ की चपेट में आ जाते हैं। इसे तकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है। इसकी वजह से कुछ लोगों को हार्ट अटैक आ जाता है।

अति का परिणाम बुरा होता है, अत्यधिक खुशी का रिजल्ट डेथ भी संभव HEALTH NEWS The consequences of excess are bad, death is also possible as a result of excessive happiness.

इस सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति के हार्ट की मसल्स कमजोर हो जाती हैं, जिससे ब्लड को पंप करने की क्षमता प्रभावित होती है। कुल मिलाकर यह परेशानी आपकी Heart Health के लिए खतरनाक होती है। इस स्टडी में सामने आया कि यह सिंड्रोम महिलाओं और 50 साल से ज्यादा लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि हैप्पी हार्ट और Broken Heart Syndrome से होने वाली मौतों का आंकड़ा बेहद कम है।

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केवल दुर्लभ मामलों में ही लोग इस सिंड्रोम की वजह से जान गंवाते हैं। इसके अलावा Heart Damage होने की आशंका भी काफी कम होती है। यही कारण है कि लोगों को इससे ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है।

हालांकि अगर आपको किसी तरह की परेशानी हो रही है, तो इस बारे में एक्सपर्ट से संपर्क किया जा सकता है। इस Syndrome को इलाज के जरिए खत्म किया जा सकता है। गंभीर तनाव के बाद सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होना इन दोनों सिंड्रोम के मुख्य लक्षण होते हैं। इसके अलावा Electrocardiogram असामान्यताएं और लेफ्ट वेंट्रीकल के बलून में दिक्कत होने की वजह यह सिंड्रोम सामने आने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

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