विदेश

वेसाक के अवसर पर दलाई लामा का संदेश

उन्होंने कहा, सत्य की शिक्षा प्राणियों को मुक्ति प्रदान करती है

धर्मशाला: तिब्बती आध्यात्मिक नेता, दलाई लामा (Dalai Lama) ने वेसाक के अवसर पर सोमवार को करुणा और एकता का संदेश दिया। छह साल की तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को वेसाक के दिन बोधित्व की प्राप्ति हुई थी।

दलाई लामा ने कहा, अपने अनुभव के आधार पर बुद्ध ने कहा था कि सोने की तरह भिक्षुओं और विद्वानों की भी जांच आग में तपा कर, काट कर और रगड़ कर की जाती है। वैसे ही, मेरी शिक्षाएं भी महज मेरे सम्मान के चलते नहीं, बल्कि अच्छी तरह से जांचने परखने के बाद ही इसे स्वीकार की जानी चाहिए।

अपनी सादगी और आनंदमयी शैली के लिए जाने जाने वाले आध्यात्मिक नेता ने कहा, यह बुद्ध के एक विशेष गुण को प्रकट करता है।

मैं सभी धार्मिक परंपराओं का सम्मान करता हूं। वे बहुत मूल्यवान हैं क्योंकि वे सभी करुणा सिखाती हैं।

उन्होंने कहा , केवल बुद्ध ने हमें अपनी शिक्षाओं की उस तरह जांच करने के लिए कहा है जिस तरह कोई सुनार सोने की शुद्धता परखता है।

बुद्ध का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ था

केवल बुद्ध ही हमें ऐसा करने की मांग करते हैं। उनका एक अन्य प्रमुख निर्देश यह था, ऋषि अहितकर कार्यों को पानी से नहीं धोते हैं, न ही वे अपने हाथों से जीवों के कष्ट दूर करते हैं, न ही वे अपनी अनुभूतियों को दूसरों में प्रतिरोपित करते हैं।

उन्होंने कहा, सत्य की शिक्षा प्राणियों को मुक्ति प्रदान करती है। तो भगवान बुद्ध, जो स्वभाव से करूणामय हैं, कहते हैं कि वे केवल अपने स्वयं के आध्यात्मिक अनुभव और अनुभूति को अपने शिष्यों में प्रेम और करुणा से स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं।

बुद्ध की शिक्षाओं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुँचाने वाले दलाई लामा ने कहा कि शिष्यों को बुद्ध की शिक्षा के अनुसार तथागत के सत्य को प्रतिबिंबित करके अपना आध्यात्मिक अनुभव विकसित करना चाहिए।

दलाई लामा तीन प्रतिबद्धताओं में विश्वास करते हैं। इनमें वास्तविक खुशी के स्रोत के रूप में आंतरिक मूल्यों को बढ़ावा देना, अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना, और तिब्बत की भाषा, संस्कृति और पर्यावरण का संरक्षण करना शामिल है।

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा खुद को एक साधारण बौद्ध भिक्षु के रूप में देखते हैं।

आज वेसाक है। वेसाक के दिन ढाई सहस्राब्दी पहले, वर्ष 623 ईसा पूर्व में, बुद्ध का जन्म हुआ था। इसीलिए मई में पूर्णिमा का दिन, दुनिया भर के लाखों बौद्धों के लिए सबसे पवित्र दिन है।

वेसाक के दिन ही बुद्ध को बोधित्व की प्राप्ति हुई थी, और वेसाक के खास दिन ही बुद्ध का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ था।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker