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दुमका की पांच महिलाओं समेत आठ मजदूरों की हुई घर वापसी, तमिलनाडु में बनाया गया था बंधक

मजदूरों को नहीं मिल रखा था खाना और नहीं बाथरूम जाने की थी इजाजत

दुमका: रोजगार की तलाश में तमिलनाडु में बंधक बने आठ मजदूरों (Workers) को रेस्क्यू कर दुमका की पुलिस ने घर वापसी कराई है। इन आठ मजदूरों में पांच महिला और तीन पुरुष शामिल हैं।

जानकारी के अनुसार चार दिन पहले 28 जून को जिले के जरमुंडी थाना क्षेत्र के जनातन किस्कू में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (Anti Human Trafficking Unit) में लिखित आवेदन दिया था।

इसमें बताया था कि जरमुंडी से कुछ लोग बिस्कुट फैक्ट्री (Biscuit Factory) में काम करने केरल गए थे। वहां कुछ दिन उन लोगों ने काम भी किया, फिर सभी मजदूरों को वहां से दूसरी जगह भेज दिया गया। जहां सभी मजदूरों का मोबाइल और आधार कार्ड छीनकर बंधक बना लिया गया।

आवेदनकर्ता ने बताया कि बंधक बनी एक लड़की ने किसी तरह मैसेज भेजा। इसके बाद उन्होंने थाने में आवेदन दिया है।

पुलिस ने आवेदन पर त्वरित कार्रवाई शुरू की और वहां से आए मैसेज का नंबर का लोकेशन ट्रेस किया तो वह तमिलनाडु का था। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, दुमका के थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने तमिलनाडु पुलिस को पूरी जानकारी दी।

मामले में तमिलनाडु पुलिस ने भी गंभीरता दिखाते हुए मौके पर जाकर सभी मजदूरों को बंधन मुक्त कराया। सभी मजदूरों को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के पलानी शहर से रेस्क्यू किया गया।

बात नहीं मानी तो उन्हें बंधक बना लिया गया

पुलिस और एक एनजीओ की मदद से सभी मजदूरों को ट्रेन से धनबाद भेजा गया। फिर सभी मजदूर धनबाद से दुमका पहुंचे। मामले में बंधक बनी सुनीता ने आपबीती सुनाई।

मैसेज करने वाली सुनीता किस्कू ने तमिलनाडु से दुमका पहुंच बताया कि उन्हें काफी प्रताड़ित किया जा रहा था। नहीं खाना मिलता था और नहीं बाथरूम जाने का इजाजत थी।

कुछ दिन उन्हें ईंट भट्ठे पर भी काम कराया गया और जब वे वापस घर आना चाहते थे तो उनसे पैसों की मांग की गई। किसी तरह उन्होंने मैसेज अपने परिजनों को पहुंचाया तब जाकर दुमका पुलिस की मदद से वह वापस घर पहुंची।

सुनीता किस्कू (Sunita Kisku) ने बताया कि रेगुलर बाहर काम करने जाने वाले मजदूर हैं। बिस्कुट फैक्टरी में काम करने के बाद में साढ़े चार सौ रुपये प्रतिदिन देने की बात हुई थी लेकिन वहां पर कुछ लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया और वे उनसे दूसरी फैक्टरी और जगहों पर काम कराना चाहते थे। जब मजदूरों ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्हें बंधक बना लिया गया।

सभी मजदूरों को उनके परिवार वालों को सौंप दिया गया

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, दुमका के थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने बताया कि जरमुंडी थाना के जनातन किस्कू ने शिकायत पर मैसेज की जांच की।

मैसेज तमिलनाडु के नंबर का पता चला। वरीय पदाधिकारी के निर्देशानुसार तमिलनाडु पुलिस और एनीजीओ के मदद से बंधक मजदूरों को छुड़ाया गया।

इधर, पूरे मामले पर SDPO सदर, दुमका नूर मुस्तफा ने बताया कि जैसे ही उन्हें मजदूरों के बंधक बनाए जाने की सूचना मिली।

पुलिस तत्परता से तफ्तीश शुरू की और तमिलनाडु पुलिस की मदद से सभी को वापस लाने में सफलता मिल रही। उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को उनके परिवार वालों को सौंप दिया गया है।

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