झारखंड

इस तरह 31 लोगों को बनाया ठगी का शिकार, सरकारी नौकरी के नाम 55 लाख…

ठगों के गिरोह ने बहुत करीने से 31 लोगों को ठगी का शिकार बना लिया। शिक्षा विभाग (Education Department) में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे 55 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।

Giridih Fraud: ठगों के गिरोह ने बहुत करीने से 31 लोगों को ठगी का शिकार बना लिया। शिक्षा विभाग (Education Department) में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे 55 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।

इस गिरोह में शिक्षा विभाग से जुड़े एक BPM, एक सरकारी स्कूल के ICT(Information Communication Technology) प्रशिक्षक के अलावा अब तक आठ लोगों के नाम प्रकाश में आए हैं।

पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मामले में ICT ट्रेनर को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार ट्रेनर लोगों से पैसे ऐंठकर रांची भेजता था.

गिरफ्तार ट्रेनर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अकदोनी कला निवासी मनीष कुमार करण (पिता मनोज कुमार) है। मनीष को मुफस्सिल थाना कांड संख्या 155/24 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गादी श्रीरामपुर निवासी पवन कुमार ने पुलिस से पूरे मामले की शिकायत की। एफआईआर में उसने बताया कि इंस्टाग्राम के जरिए मनीष कुमार करण नामक युवक से उसकी दोस्ती हुई। दोस्ती के बाद मनीष ने उससे कहा कि वह उसे सरकारी नौकरी दिला सकता है। उसने बताया कि झारखंड एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल में ई-कल्याण और डाटा Management Operator का बड़ा काम आया है।

उसने बताया कि सेटिंग से सारा काम हो जाएगा और नौकरी भी मिलेगी। एक व्यक्ति को नौकरी दिलाने के लिए पांच लाख मांगे गए। पवन ने बताया कि तत्काल उससे ढाई लाख ले लिए गए. पवन के बाद कोलडीहा के दो दोस्तों पुरुषोत्तम कुमार पटवा और कैलाश जायसवाल से भी पैसे दिलवाए गए. कुल रकम 10.50 लाख हो गई।

इसी बीच मनीष ने पवन के व्हाट्सएप पर पत्र भेजकर कहा कि 12 अप्रैल तक कागजातों का सत्यापन हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके बाद उसने कहा कि 21 अप्रैल को इंटरव्यू होगा। इंटरव्यू तो नहीं हुआ, लेकिन मेरिट लिस्ट जरूर दे दी गई।

समाहरणालय बुलाया, साथी से मिलवाया

FIR में पवन ने कहा है कि उसे 29 अप्रैल से तीन मई तक डीसी कार्यालय गिरिडीह में ज्वाइन करने को कहा गया। 3 मई को जब वे डीसी ऑफिस पहुंचे तो उन्हें अविनाश नामक व्यक्ति से मिलवाया गया, जिसने कहा कि BRC में Biometric होगा और फिर आईडी कार्ड दिया जाएगा।

पवन ने बताया कि जब उसे शक हुआ तो उन्होंने पैसे वापस करने को कहा। दबाव बनाने पर मनीष ने अशोक पात्रा के नाम से चेक दिया और कहा कि अगर नौकरी नहीं लगी तो पैसे वापस ले लेना। हालांकि, दोनों चेक बाउंस हो गए।

मनीष ने दी साथियों की जानकारी

पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मुफ्फसिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो ने SP दीपक कुमार शर्मा के साथ ही एसडीपीओ बिनोद रवानी को पूरे मामले की जानकारी दी।

वरीय अधिकारी के निर्देश पर मामला दर्ज कर जांच की जिम्मेदारी Sub Inspector सतेंद्र कुमार पाल को सौंपी गई। FIR के दूसरे दिन एसआई पाल ने मनीष को गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में मनीष ने अपने आठ साथियों के नाम बताए। उसने बताया कि इस गिरोह में बिहार के अलावा रांची के लोग भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग (Education Department) के लोग भी इसमें शामिल हैं। उसने यह भी बताया कि उसके द्वारा दिए गए नियुक्ति पत्र पर अधिकारी के हस्ताक्षर की कॉपी भी है। मनीष ने अब तक 31 लोगों से ठगी करने की बात मंजूर की है।

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