भारत

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मामले की एक जुलाई को होगी सुनवाई

ट्रस्ट ने दाखिल किए अहम दस्तावेज

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई हुई। लखनऊ के अधिवक्ता कृष्ण भक्त रंजना (Krishna Bhakta Ranjana) अग्निहोत्री की याचिका पर पहली सुनवाई हुई।

15 मिनट बहस होने के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के अधिवक्ता ने न्यायालय में दो अहम दस्तावेज पेश किए।

वादी पक्ष ने मांग की है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते को रद्द किया जाए।

साथ ही ईदगाह की जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपा जाए। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने याचिका से संबंधित एक प्रति मांगी जो उन्हें उपलब्ध कराई गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए एक जुलाई तय की है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने बताया गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर पहली सुनवाई हुई।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से दो अहम दस्तावेज न्यायालय में पेश किए गए हैं। खसरा संख्या 825 केवट संख्या 255 जिसका रकबा 13.37 एकड़ है।

मेरे पास उसकी नकल मौजूद है, श्रीकृष्ण जन्म स्थान ट्रस्ट नगर निगम से संबंधित दस्तावेजों में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ही मालिकाना हक है, संपत्ति उसी की है किसी अन्य संस्था से कोई मतलब नहीं है।

न्यायालय में बहस होने के बाद मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को तय की गई है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में पहली सुनवाई के बाद जानकारी देते रंजना अग्निहोत्री के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि जिला जज का आदेश मिलने के बाद मामले की प्रतिलिपि कॉपी लोअर कोर्ट में जमा कर दी गई थी।

विपक्ष ने आरोप लगाया था कि हमें मामले की प्रतिलिपि नहीं मिली है, सिविल जज हमें आदेश किया है एक बार फिर विपक्ष के लोगों को प्रतिलिपि कॉपी मौजूद करा दी जाए।

हम श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला सुलझाना चाहते हैं, क्योंकि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र कृष्ण जन्मभूमि मंदिर है। पूरी जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने माना है कि याचिकाकर्ता को दावा करने का अधिकार है।

अब माना जा रहा है कि इस मामले में शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन कमेटी जिला कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कदम उठा सकती है।

विदित रहे कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका मूल रूप से 25 सितंबर, 2020 को लखनऊ स्थित रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य लोगों द्वारा सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दायर की गई थी।

याचिका में दावा किया था कि मस्जिद का निर्माण श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि के एक हिस्से पर किया गया है।

इसके बाद मस्जिद को हटाने और जमीन ट्रस्ट को वापस करने की भी मांग की थी। इस याचिका को 30 सितंबर 2020 को सिविल जज ने सुनवाई योग्य न मानकर खारिज कर दिया था अब फिर इस पर सुनवाई की जा रही है।

अग्निहोत्री की याचिका पर जिला जज ने 19 मई को आदेश दिया था कि यह याचिकाकर्ता का अधिकार है इसलिए निचली अदालत को सुनवाई के लिए बाध्य होना पड़ा था।

याचिका पर जिला कोर्ट ने रिविजन के तहत सुनवाई 18 जनवरी 2021 को तय की थी। तबसे अब तक यानी 20 महीनों के दौरान इसे 36 तारीखों के बाद आज सुनवाई हुई है।

अदालत में अजान बंद कराने की मांग पर प्रार्थना पत्र दाखिल

वहीं मथुरा में ही शाही मस्जिद से लाउडस्पीकर को हटाने की मांग काफी जोर पकड़ रही है। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में वादी दिनेश शर्मा ने गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर ईदगाह में लाउड स्पीकर से अजान बंद कराने की मांग की है।

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