झारखंड

नगर निकाय चुनावों के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार, हाई कोर्ट ने…

राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को High Court से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर (Justice S Chandrashekhar) और जस्टिस नवनीत कुमार (Justice Navneet Kumar) की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

Jharkhand High Court: राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को High Court से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर (Justice S Chandrashekhar) और जस्टिस नवनीत कुमार (Justice Navneet Kumar) की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है।

राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (LPA) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने LPA में कहा है कि इन चुनावों में OBC को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए OBC की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए।

राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह High Court से किया। अपील में राज्य सरकार ने Jharkhand Municipal Act के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है।

इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले OBC आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है।

अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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