झारखंड

हेमंत सरकार पेड़ लगाने पर प्रति पेड़ पांच यूनिट बिजली देगी फ्री

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है।

जलवायु परिवर्तन से हमें सचेत रहने की आवश्यकता है। क्योंकि, प्राकृतिक असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है और मनुष्य को ही इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।

वे शुक्रवार को IIM परिसर, पुंदाग में आयोजित 73वें वन महोत्सव कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

हेमंत ने कहा कि धरती में झारखंड प्रदेश अलग और अद्भुत स्थान रखता है। झारखंड डायनासोर युग (Jharkhand dinosaur era) के इतिहास को भी संरक्षित किए हुए है।

प्राकृतिक आपदाओं (Natural disasters) को प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर ही रोका जा सकता है। झारखंड के शहरी क्षेत्र में रहने वाले वैसे परिवार जो अपने घर के कैंपस में पेड़ लगाएंगे उन्हें राज्य सरकार प्रति पेड़ पांच यूनिट बिजली फ्री देगी।

जब तक कैंपस या घरों के परिसर में पेड़ रहेंगे उन्हें यह लाभ मिलता रहेगा लेकिन ध्यान रहे कि यह पेड़ कोई गेंदा या गुलाब का पौधा नहीं बल्कि, कोई फलदार या अन्य वृक्ष होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा…

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हुए जिस प्रकार हम विकास की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं, उससे विनाश को भी आमंत्रण दे रहे हैं।

अगर सामंजस्य (Adjustment) नहीं बैठाया तो मनुष्य जीवन को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। जीवन जीने के लिए पेड़ का होना जरूरी है।

किसी भी वजह से पेड़ कटता है तो उसकी भरपाई पेड़ लगाकर होनी चाहिए, यह हम सभी को मिल-जुलकर सुनिश्चित करना है। वन महोत्सव कोई एक दिन का कार्यक्रम नहीं बल्कि हर दिन वन महोत्सव होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संवर्धन के उद्देश्य से झारखण्डवासियों के लिए चाकुलिया, गिरीडीह, साहेबगंज और दुमका में जैव-विविधता पार्क का निर्माण किया जा रहा है।

गर्व की बात है राज्य का पहला और अनूठा फॉसिल पार्क (Fossil Park) जनता को समर्पित किया गया है। इस फॉसिल पार्क में धरती की उत्पत्ति से संबंधित कई अवशेष और जानकारियां मिलती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस राज्य का नाम जंगलों पर आधारित है। झारखंड जंगलों से जुड़ा शब्द है। झारखंड प्रदेश में सबसे अधिक आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं जिनका जीवन जंगल, नदी, पहाड़-पर्वत के इर्द-गिर्द ही कटता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई मायनों में हमारा राज्य प्राकृतिक रूप से काफी धनी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के जंगलों में पेड़ों को कटने से बचाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध (Government Committed) है। राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि वन आधारित क्षेत्रों में अब आरा मशीन प्लांट नहीं लगेगा।

जो भी आरा मशीनें पहले से स्थापित हैं उन्हें भी हटाने का निर्देश दिया गया है। वन आधारित पांच किलोमीटर क्षेत्रों में आरा मशीन प्लांट किसी भी कीमत पर नहीं लगेगा, अधिकारी यह सुनिश्चित करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगलों की कटाई को लेकर कई बार ग्रामीणों की शिकायतें मिली हैं। जंगल के बीच में आरा मिल का होना पदाधिकारियों की जानकारी के बिना संभव नहीं है। यह षड्यंत्र व्यक्तिगत हितों के लिए रचा जा रहा है। ऐसे लोगों को अपने कार्यशैली पर लगाम लगाने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संतुलन (Environmental Balance) को लेकर देश एवं दुनिया में कई बड़े-बड़े गोष्ठियां एवं चर्चाएं आयोजित होती हैं। पर्यावरण संरक्षण की बातें तो हम बहुत करते हैं अगर उन बातों पर हम खरा उतरे तो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। वनों के महत्व को समझने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समय रहते हम अगर जल, जंगल और जमीन को नहीं सहेज सके तो यह दु:खद होगा। ये सभी चीजें जीवन जीने के महत्वपूर्ण आधार हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को हरा बनाने में कोई कमी न हो, इसके लिए आज संकल्प लेने की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखकर पृथ्वी की हरीतिमा को बढ़ाने की आवश्यकता है।

परिसर में पौधरोपण भी किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब देखने को यह मिल रहा है कि शहरी क्षेत्रों से सटे हुए जलाशयों में पानी दूषित हो रहा है। शहरों में बसने वाले संभ्रांत लोग शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तो कर लेते हैं लेकिन गरीब जरूरतमंदों को दूषित पानी का ही सेवन करना पड़ रहा है।

हमें इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रहे।

इस वन महोत्सव (Forest Festival) के अवसर पर हम सभी मिलकर यह प्रण लें कि हम अधिक से अधिक पौधरोपण कर अपनी मानवजाति, पृथ्वी एवं इसके पर्यावरण को बचाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहेंगे।

मौके पर मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों ने IIM परिसर में पौधरोपण भी किया। मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों द्वारा वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग पर आधारित कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर एक लघु फिल्म (Short film) का प्रदर्शन भी किया गया।

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