Jharkhand News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में बोकारो के चास अंचल में 133.64 एकड़ जमीन से जुड़े दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। ED सूत्रों के मुताबिक, पुरुलिया रजिस्ट्री कार्यालय से 1933 में जारी डीड नंबर 191 और समीर महतो का वसीयतनामा फर्जी है।
इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन ने दावा किया था कि उनके पूर्वज समीर महतो ने 1933 में नीलामी में यह जमीन खरीदी थी। जांच में पता चला कि 74 एकड़ से अधिक जमीन बेची जा चुकी है।
फर्जी दस्तावेज का खेल
डीड नंबर 191: पुरुलिया रजिस्ट्री से 1933 का सेल डीड, जिसमें समीर महतो द्वारा तेतुलिया की 133.64 एकड़ जमीन खरीदने का दावा।
वसीयतनामा : 2010 में समीर महतो ने अपने पोतों इजहार और अख्तर हुसैन को यह जमीन देने का उल्लेख।
पुरुलिया रजिस्ट्री कार्यालय ने लिखित में पुष्टि की कि नीलामी से जुड़ा कोई दस्तावेज उनके रिकॉर्ड में नहीं है। ED ने PMLA की धारा 16 के तहत कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय में सर्वे कर दस्तावेजों की जांच की, जिसमें फर्जीवाड़ा पक्का हुआ।
म्यूटेशन में गड़बड़ी
चास के तत्कालीन अंचल अधिकारी निर्मल टोप्पो ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इजहार और अख्तर के नाम जमीन का म्यूटेशन कर दिया था। इस गड़बड़ी के लिए टोप्पो को बर्खास्त कर दिया गया है।
ED ने 6 और 8 मई 2025 को बोकारो, रांची और पश्चिम बंगाल में छापेमारी की। बांका के बीर अग्रवाल के ठिकाने से 1.30 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए।
जांच में पाया गया कि राजबीर कंस्ट्रक्शन के निदेशक ने जमीन खरीद के लिए फंडिंग की थी। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत कार्रवाई तेज कर दी है।
ED की टीमें तेतुलिया वन भूमि घोटाले की गहराई से जांच कर रही हैं। फर्जी दस्तावेजों के जरिए वन भूमि को हड़पने का यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।
पुलिस ने भी इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन के खिलाफ FIR दर्ज की है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी अभी बाकी है।