झारखंड

रांची नगर निगम की बोर्ड बैठक चढ़ी हंगामे की भेंट, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

हंगामे के दौरान ही बिना किसी नतीजा के ही निगम बोर्ड की बैठक खत्म हो गयी

रांची: रांची नगर निगम की मेयर और आशा लकड़ा के बीच जारी विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आये दिन दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

सोमवार को बुलाई गई नगर निगम बोर्ड की बैठक एक बार फिर नहीं हो सकी।

सोमवार को बैठक शुरू होने से पहले ही रांची नगर निगम के अधिकारियों ने हंगामा शुरू कर दिया।

बैठक जैसे ही शुरू हुई निगम के आला अधिकारी उप नगर आयुक्त कुमार सिंह चौहान, सहायक नगर आयुक्त ज्योति कुमार और शीतल कुमारी काला बिल्ला लगाकर मंच पर रखे कुर्सी पर बैठ गये।

उन्होंने बैठक की शुरुआत में ही नगर आयुक्त को ज्ञापन पढ़ कर सुनाया। जिसमें लिखा था कि मेयर ने पिछले दिनों उनके खिलाफ जो आपत्तिजनक और असंवैधानिक भाषा का प्रयोग किया है, उसकी वह घोर निंदा करते हैं।

हालांकि, वह बैठक का बहिष्कार नहीं कर रहे हैं लेकिन वे अपमान को देख बोर्ड बैठक में उपस्थित नहीं होंगे।

उसके बाद बोर्ड बैठक हंगामेदार हो गई। हंगामे के दौरान ही बिना किसी नतीजा के ही निगम बोर्ड की बैठक खत्म हो गयी।

बैठक के बीच में जब अधिकारियों को बुलाया गया तो अधिकारी मेयर आशा लकड़ा से क्षमा मांगने की मांग कर रहे थे।

इस बीच एक पार्षद नजीमा रजा ने अधिकारियों का समर्थन किया, तो सभी पार्षद विरोध में उतर गए।

स्थिति ये बन गयी कि कुछ को छोड़ कर सभी पार्षद, मेयर, डिप्टी मेयर निगम के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए।

सभी नगर विकास सचिव, नगर विकास मंत्री को निगम बुलाने की मांग कर रहे थे।

इससे पहले मेयर आशा लकड़ा लगातार अपने अधिकारों के हनन की बात करती रही। जिस पर नगर आयुक्त ने भी अपना पक्ष रखा।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने विरोध कोई नया नहीं किया है, उनकी मांग पिछले कई दिनों से थी।

नगर आयुक्त ने कहा कि जिस तरह से उनके खिलाफ आपत्तिजनक बात की गयी है, इसके खिलाफ उन्होंने मुख्यमंत्री नगर विकास सचिव को भी ज्ञापन सौंपा है।

इसके बाद निगम के सभी पार्षद हंगामा करने लगे। सभी पार्षद निगम में ताला बंदी की मांग करने लगे।

नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने कहा कि विरोध करने वाले अधिकारी बैठक का बहिष्कार नहीं कर रहे, बल्कि मेयर के अमर्यादित व्यवहार से दुखी हैं। उनकी आपत्ति मेयर के दिये आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर है।

हालांकि नगर आयुक्त ने ये भी कहा कि वे एक बार फिर अधिकारियों को जाकर समझाने का प्रयास करेंगे कि वे बोर्ड बैठक में उपस्थित हों।

नगर आयुक्त के समझाने के बाद मेयर के बर्ताव से दुखी विरोध करने वाले आधिकारी बैठक में शामिल हुए।

इस संबंध में मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि हो सकता है कि बातचीत के क्रम में उनकी जुबान फिसल गयी होगी।

इसलिए वह अपनी बातों को वापस लेती हैं। उन्होंने अधिकारियों से बैठक शुरू करने की अपील भी की लेकिन अधिकारी नहीं माने।

वहीं दूसरी ओर नगर निगम के अधिकारियों के मनमानी को लेकर मेयर नगर निगम के गेट पर धरने पर बैठ गयी।

उनके समर्थन में कई पार्षद भी धरने पर बैठ गये। पार्षदों ने इस दौरान कहा कि अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। इसमें नगर विकास विभाग के सचिव और मंत्री को हस्तक्षेप करना होगा।

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