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सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में सभी वर्गों को शामिल करना जरूरी: मौलाना अरशद मदनी

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नई दिल्ली: कानपुर में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 27वीं बैठक में बोर्ड का उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में जो बातें सामने आई हैं, उनको लेकर सरकार की जो सोच और व्यवहार है और जिस तरह उन चीज़ों को पूरे देश में प्रस्तुत किया जा रहा है वो नफरत और पक्षपात पर आधारित है।

शरीयत के आदेशों में हस्तक्षेप वास्तव में उसी नफरत और पक्षपात की राजनीति पर आधारित है। इन चीजों को रोकने के लिए हमारे पास कोई ताकत नहीं है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनके पास सत्ता की ताकत है जिसे आज की दुनिया में सबसे बड़ी ताकत समझा जाता है।

मौलाना ने कहा कि ऐसी निराशजनक स्थिति में भी आशा और विश्वास के चिराग रौशन हैं। देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो देश की वर्तमान स्थिति को गलत समझता है।

एक विशेष वर्ग के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों से जो कुछ हो रहा है, उसे वो अच्छी नज़र से नहीं देखता। वो यह भी समझता है कि इस प्रकार की चीजें देश के लिए बहुत घातक हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि सांप्रदायिकता के खि़लाफ़ जंग में हम अकेले सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। हमें न केवल उस वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा के लोगों को अपने साथ लाना होगा।

नफरत और सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने के लिए हमें मिलजुल कर आगे आना होगा। अगर हम ऐसा करेंगे तो कोई कारण नहीं कि सांप्रदायिक ताकतों को पराजित न कर सकें।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सांप्रदायिकता और नफरत का यह खेल दक्षिण की तुलना में उत्तरी भारत में अपने चरम पर है। इसका मूल कारण राजनीतिक हित हैं।

भड़काऊ भाषण और ऊटपटांग बयानों से सामाजिक स्तर पर सांप्रदायिक गोलबंदी की साजिश हो रही है ताकि बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक से बिलकुल अलग कर अपनी नापाक योजनाओं में सफलता प्राप्त कर ली जाए।

इसलिए इस साजिश का मुकाबला करने के लिए हमें बहुसंख्यक के उन सभी लोगों को अपने साथ लाना होगा जो इन बातों को गलत समझते हैं और जिनका मानना है कि इस प्रकार की राजनीति देश की एकता, अखण्डता और विकास के लिए बहुत घातक है।

उन्होंने आगे कहा कि नफरत और सांप्रदायिकता की आग भड़काने वाले मुट्ठी भर लोग ही हैं लेकिन वह शाक्तिशाली इसलिए हैं क्योंकि उन्हें सत्ता में उपस्थित लोगों का संरक्षण प्राप्त है।

इसलिए कानून के हाथ भी उनकी गर्दन तक नहीं पहुंच पाते। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि नफरत का मुकाबला नफरत से नहीं किया जा सकता है।

आग से आग को बुझाने का प्रयास मूर्ख लोग ही कर सकते हैं। इसके मुकाबले में हमें भाईचारा, सहानुभूति और एकता को बढ़ावा देना होगा जो हमारी और इस देश का पुराना इतिहास भी रहा है।

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