Anti Corruption Bureau: झारखंड शराब घोटाले की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार को गुजरात और महाराष्ट्र की दो कंपनियों से जुड़े सात लोगों को नोटिस जारी किया। गुजरात की विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसल्टेंट से जुड़े बिपिन जादवभाई परमार, महेश शेडगे, परेश अभेसिंह ठाकोर, और बिक्रमसिंह अभीसिंह ठाकोर को पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
वहीं, महाराष्ट्र की मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े जगन तुकाराम देसाई, कमल जगन देसाई, और शीतल जगन देसाई को भी धारा 41A के तहत नोटिस भेजा गया है।
पहले भी जारी हुए नोटिस
सोमवार को ACB ने धनंजय कुमार, उमाशंकर सिंह, छीपिज त्रिवेदी, विनय कुमार सिंह, और उपेंद्र शर्मा को भी धारा 41A के तहत पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था।
38 करोड़ के घोटाले में अब तक 5 गिरफ्तार
लगभग 38 करोड़ रुपये के इस शराब घोटाले में अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। 22 मई की देर रात को जियाडा रांची प्रक्षेत्र के रीजनल डायरेक्टर और JSBCL के तत्कालीन GM (ऑपरेशन एंड फाइनेंस) सुधीर कुमार, वर्तमान GM (फाइनेंस) सुधीर कुमार दास, और मार्शन कंपनी के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले, 20 मई को वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
दोनों को विशेष ACB कोर्ट ने 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। विनय चौबे वर्तमान में रिम्स में भर्ती हैं।
विनय चौबे और परिवार की संपत्ति की जांच
ACB अब विनय चौबे, उनकी पत्नी, और उनके करीबी रिश्तेदारों की अचल संपत्ति की जांच कर रही है। इसके लिए ACB ने रांची के रजिस्ट्री कार्यालयों को पत्र लिखकर चौबे, उनकी पत्नी, और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है।
चौबे और उनकी पत्नी के पैन नंबर भी रजिस्ट्री कार्यालय को उपलब्ध कराए गए हैं। जानकारी के अनुसार, चौबे की पत्नी के नाम पर चार संपत्ति खरीद-बिक्री के दस्तावेज पाए गए हैं। रजिस्ट्री कार्यालयों में इन संपत्तियों की डिटेल खंगाली जा रही है, और ACB जल्द ही इस मामले में अगली कार्रवाई शुरू करेगी।
ACB की जांच में हुआ खुलासा
ACB की जांच में खुलासा हुआ है कि विजन हॉस्पिटैलिटी और मार्शन सिक्योरिटीज जैसी कंपनियों को नकली बैंक गारंटी के आधार पर शराब दुकानों के लिए प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में चुना गया था।
इससे राज्य को 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। यह मामला छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से भी जुड़ा है, जिसमें विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।