प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘जमानत नियम और जेल अपवाद है’

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि ‘जमानत नियम और जेल अपवाद है’ का सिद्धांत PMLA के तहत धन शोधन के मामलों पर लागू होता है।

Digital Desk

Supreme Court said: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि ‘जमानत नियम और जेल अपवाद है’ का सिद्धांत PMLA के तहत धन शोधन के मामलों पर लागू होता है। शीर्ष अदालत यह निर्णय तब आया, जब धन शोधन के मामले में झारखंड के CM Hemant Soren के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देकर हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

शीर्ष अदालत ने फिर कहा कि भारतीय न्याय प्रक्रिया में जमानत नियम है और हिरासत यानी कैद अपवाद है। यह नियम धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में भी लागू होगा।

कोर्ट के जस्टिस भूषण आर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कानून की समुचित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही किसी नागरिक को आजादी के बुनियादी अधिकार से वंचित नहीं रख सकते है।

पीएमएलए के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच अधिकारी के सामने कोई अपराध स्वीकार कर बयान देता है, तब कोर्ट में सबूत नहीं माना जाएगा। प्रेम प्रकाश को जमानत देकर Supreme Court ने उनकी लंबी कैद और बड़ी संख्या में गवाहों के कारण मुकदमे में हुई देरी को भी ध्यान में रखा। जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि आप नेता मनीष सिसोदिया मामले में दिए गए फैसले पर भरोसा कर कहा है कि PMLA में भी जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है।

व्यक्ति की आजादी हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत बचना अपवाद है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि अगर अपीलकर्ता के बयान अपराध सिद्ध करने वाले पाए गए तब उन पर धारा 25 के तहत कार्रवाई की जाएगी।